भारत-पाकिस्तान का नाम एक साथ आते ही लोगों के मन में सबसे पहला भाव जंग का होता है. क्योंकि इतिहास बताते हैं कि पाकिस्तान ने ऐसी हरकतें कई बार कर चुका है. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे चावल के बारे में बताएंगे, जिसको लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच जंग जारी है. जानिए इस चावल का नाम क्या है.
बासमती चावल
दुनिया के कई देशों में धान की खेती होती है. धान को उनके गुणों के आधार पर कई वर्गों में बांटा जा सकता है, जिसमें सामान्य धान, बासमती धान और खुशबू वाले धान को भी अलग-अलग श्रेणी में रखा जाता है. इसमें पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बासमती धान को पसंद किया जाता है.
भारत-पाकिस्तान के बीच बासमती
बासमती चावल को लेकर भारत और पाकिस्तान मौजूदा वक्त में आमने-सामने हैं. जिसके तहत भारत के शीर्ष कृषि संस्थान ने पाकिस्तान पर संरक्षित बासमती धान की किस्मों की चोरी का आरोप लगाया है. लेकिन बासमती को लेकर ये विवाद भारत और पाकिस्तान के बीच नया नहीं है. बता दें कि अंग्रेजों के समय पर बासमती चावल भारत की पहचान हुआ करता था.लेकिन आजादी के वक्त जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ था, उस दौरान बासमती चावल का भी बंटवारा हुआ था.
जीआई टैग
बासमती एक जीआई यानी भागौलिक संकेतक उत्पाद है. दुनिया के कई देश इस खुशबू वाले चावल यानी बासमती की पहचान जीआई टैग के आधार पर करते हैं. इसको लेकर एपीडा में बासमती चावल के नोडल अधिकारी डॉ रितेश शर्मा ने मीडिया से बातचीत में बताया था कि पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के 14 जिलों और भारत के 7 राज्यों में पैदा होने वाले खुशबुदार चावल को बासमती चावल का जीआई टैग मिला हुआ है. भारत के 7 राज्यों में पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, उत्तराखंड, दिल्ली, जम्मू के 3 जिले और वेस्टर्न यूपी के 30 जिलों में होने वाले खुशबुदार चावल को बासमती जीआई टैग मिला हुआ है. दुनिया के इन क्षेत्रों में पैदा होने वाले खुशबुदार चावल को ही बासमती चावल के तौर पर पहचाना जाता है.
इंटरनेशनल जीआई टैग
बासमती चावल की इंटरनेशनल जीआई टैग को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच जंग होती रही है. भारत ने 2019 में जीआई टैग को लेकर ऑस्ट्रेलिया के समक्ष आवेदन किया था, लेकिन बीते साल ऑस्ट्रेलिया ने भारत के बासमती को जीआई टैग देने से मना कर दिया था. जिसके पीछे पाकिस्तान की लॉबिंग समझी जाती रही है. ऑस्ट्रेलिया का तर्क था कि बासमती भारत के साथ ही पाकिस्तान में भी पैदा होता है. इस वजह से जीआई टैग नहीं दिया जा सकता है. इसको लेकर एपीडा ने ऑस्ट्रेलिया न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था. आंकड़ों के मुताबिक साल 2023 में बासमती चावल के ग्लोबल मार्केट की कीमत 12180 डॉलर आंकी गई थी. वहीं 2030 तक इसकी कीमत 21700 डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है.
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