सऊदी अरब में भीषण गर्मी से मरने वाले हज यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. खबरों के मुताबिक अभी तक 1150 हज यात्रियों की मौत हो चुकी है और बहुत यात्रियों की हालत गंभीर है. इनमें सबसे ज्यादा मिस्र के 658 नागरिक, इंडोनेशिया के 199 और भारत के 98 हज यात्री शामिल हैं. लेकिन सवाल ये है कि भारत से कौन, किस उम्र का नागरिक हज यात्रा पर जाएगा, ये कौन सी कमेटी तय करती है. जानिए भारत सरकार किन नियमों के तहत हज पर यात्रियों को भेजते हैं.  


मक्का में गर्मी 


सऊदी के मक्का शहर में भीषण गर्मी पड़ने के कारण अभी तक लगभग 1150 हज यात्रियों की मौत हो गई है. इनमें मिस्र के 658, इंडोनेशिया के 199, भारत के 98, जॉर्डन के 75, ट्यूनीशिया के 49, पाकिस्तान के 35 और ईरान के 11 हज यात्री शामिल हैं. 


हज यात्रा


अब सबसे पहले समझते हैं कि हज यात्रा क्या होती है. बता दें कि हज एक अरबी शब्द है, जिसका अर्थ है किसी स्थान के लिए इरादा करके निकलना. दरअसल दुनिया भर के मुसलमान हज के लिए सऊदी अरब जाते हैं, जहां काबा की परिक्रमा की जाती है. हज पर जाने के लिए कई नियमों का पालन करना पड़ता है.वहीं हज पर जाने के लिए न्यूनतम 12 साल की उम्र जरूरी है.


जानकारी के मुताबिक हज पर जाने के लिए हज कमिटी में अप्लाई करना होता है. इसके लिए पासपोर्ट साइज फोटो, कोरोना महामारी के बाद से वैक्सीन सर्टिफिकेट, आधार कार्ड और पासपोर्ट की जरूरत पड़ती है. वहीं हज कमिटी पहली बार यात्रा पर जाने वालों को प्राथमिकता देती है. इसके अलावा, बुजुर्गों, दिव्यांगों और महिलाओं को भी प्राथमिकता दी जाती है. हज जाने के लिए लगभग तीन से चार लाख भारतीय करेंसी खर्च होती है. 


कितने लोग जा सकते हैं हज


अब सवाल ये है कि क्या कोई भी हज यात्रा पर जा सकता है? बता दें कि आवेदन कोई भी कर सकता है. लेकिन किस देश से कौन नागरिक हज की यात्रा पर जाएगा, ये सरकार तय करती है.   सऊदी अरब सरकार के नियमों के मुताबिक मुस्लिम देशों से हर 1000 की आबादी पर एक व्यक्ति हज यात्रा कर सकता है. भारत में केंद्र सरकार का अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय और हज कमिटी तय करती है कि किस राज्य से कितने लोग हज यात्रा पर जाएंगे. वहीं संख्या ज्यादा होने पर लॉटरी निकाली जाती है, जिसके मुताबिक जिनका नाम इसमें निकलता है. उन्हें सरकार हज की यात्रा पर जाने की इजाजत देती है. जानकारी के मुताबिक हज के लिए 70 फीसदी कोटा केंद्र सरकार की ओर से अल्पसंख्यक मंत्रालय और हज कमिटी तय करती है, जबकि 30 फीसदी कोटा निजी ऑपरेटर्स को दिया जाता है. वहीं सरकारी कोटे से जाने वालों को हज यात्रा के खर्च में सब्सिडी मिलती है. इस्मामिक कैलेंडर के आखिरी महीने में हज यात्रा होती है. 


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