रूस-यूक्रेन के बीच युद्ध लगभग पिछले दो सालों से जारी है. इस बीच कई लोगों को युद्धबंदी बनाया गया. वहीं हाल ही में 65 युद्धबंदियों को ले रहा विमान क्रैश हो गया. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो विमान में सवार सभी लोगों की मौत हो गई है. हालांकि रूस के रक्षा मंत्रालय द्वारा इसे लेकर कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है, लेकिन इस बीच युद्धबंदी शब्द खासा चर्चाओं में है. तो चलिए आज जानते हैं इसका मतलब क्या होता है.
क्या होता है युद्धबंदी?
युद्धबन्दी (prisoner of war) उस व्यक्ति को कहा जाता है जो किसी सशस्त्र संघर्ष के दौरान या तुरन्त बाद शत्रु देश द्वारा हिरासत में ले लिया गया हो. ऐसे में पकड़ा गया व्यक्ति लड़ाकू हो या न हो, वो 'युद्धबन्दी' ही कहा जाता है.
क्यों युद्धबंदियों को छोड़ना किसी भी देश के लिए होता है जरूरी?
हालांकि ये रूसी विमान युद्धबंदियों को कैदियों की अदला-बदली समझौते के तहत ले जा रहा था लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि किसी देश के द्वारा युद्धबंदी बनाया जाता है तो एक समझौते के तहत उन्हें वापस भेजना होता है जिसका नाम जिनेवा कन्वेंशन है. दरअसल 1864 और 1949 के बीच जिनेवा में संपन्न जिनेवा कन्वेंशन कई अंतर्राष्ट्रीय संधियों में से एक है जो युद्धबंदियों और नागरिकों के अधिकारों को बरकरार रखने के लिए युद्ध में शामिल देशों को बाध्य करती है.
इस संधि के तहत युद्धबंदी के साथ अमानवीय व्यवहार करने और उसे प्रताड़ित नहीं किया जा सकता. दुनियाभर के सभी देशों नेे इस संधि पर हस्ताक्षर किए हैं. युद्ध के दौरान किसी देश का सैनिक जैसे ही पकड़ा जाता है तो उस पर येे संधि लागू हो जाती है. इस कन्वेंशन के मुताबिक, युद्ध खत्म होने पर युद्धबंदी को तुरंत रिहा करना होता है.
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