100 के नोट पर बनी 'रानी की वाव' किसने बनवाई थी? उल्टे मंदिर की तरह है इसका डिजाइन
रानी की वाव (Rani ki Vav) गुजरात में स्थित है. यहां के पाटन जिले में सरस्वती नदी के किनारे इस संरचना का निर्माण कराया गया है. कहा जाता है इसे 11वीं शताब्दी में बनवाया गया था.
अगर आपकी जेब में सौ रुपये का नया नोट हो तो उसे एक बार निकाल कर देखिए. इसके पीछे एक तस्वीर बनी होगी जो किसी उल्टे मंदिर जैसी दिख रही होगी. लेकिन असलियत में ये कोई उल्टा मंदिर नहीं बल्कि रानी की वाव है. चलिए आपको बताते हैं कि ये रानी की वाव किसने और किसके याद में बनवाई है. इसके साथी आपको ये भी बताएं कि ये रानी की वाव भारत में कहां स्थित है.
कहां स्थित रानी की वाव
रानी की वाव गुजरात में स्थित है. यहां के पाटन जिले में सरस्वती नदी के किनारे इस संरचना का निर्माण कराया गया है. कहा जाता है इसे 11वीं शताब्दी में बनवाया गया था. सरस्वती नदी के तट पर इसे सात तलों में बनाया गया है. इसकी लंबाई 64 मीटर है और चौड़ाई 20 मीटर है. जबकि रानी की वाव की गहराई 27 मीटर है. इसके साथ ही इस वाव में 30 किलो मीटर लंबी एक रहस्यमयी सुंरग होने का भी दावा किया जाता है.
किसके लिए इसे बनवाया गया था?
इतिहास में ज्यादातर इमारतों को राजाओं ने रानियों की याद में बनवाया है. लेकिन रानी की वाव एक राजा की याद में बनाई गई है. रानी की वाव को 1063 में सोलंकी राजवंश की रानी उदयमाती ने अपने स्वर्गवासी पति राजा भीमदेव की याद में बनवाया था. माना जाता है कि इस बावड़ी के पानी में औषधीय गुण हैं जो वायरल बुखार और कई अन्य बीमारियों को ठीक कर सकता है.
इसके साथ ही बावड़ी की अंदरूनी दीवारों पर 800 से ज्यादा मूर्तियां बनाई गई हैं. इनमें ज्यादातर मूर्तियां भगवान विष्णु की हैं. इसके अलावा अप्सराओं और ऋषियों की भी मूर्तियां रानी की वाव की दीवारों पर आपको दिख जाएंगी. यहां अगर आप घूमने जाना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको पाटन पहुंचना होगा. वहां से आप पब्लिक ट्रांसपोर्ट या अपनी गाड़ी की मदद से सड़क के रास्ते रानी की वाव तक पहुंच सकते हैं.
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