देश की राजनीति में लेटरल एंट्री को लेकर चर्चा जोरो-शोरो से हो रही है. क्या आप जानते हैं कि किन लोगों को यूपीएससी के जरिए सीधे लेटरल एंट्री मिल सकती है और इसके लिए किन्हें यूपीएससी प्राथमिकता देता है.   आज हम आपको बताएंगे कि लेटरल एंट्री क्या होता है और इसमें किसे प्राथमिकता दी जाती है. 


लेटरल एंट्री पर राजनीति


बता दें कि यूपीएससी ने 7 अगस्त को एक विज्ञापन जारी करते हुए 45 ज्वाइंट सेक्रेटरी, डिप्टी सेक्रेटरी और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकाली थी. लेकिन सरकार के इस फैसले पर जमकर सियासी बवाल मचा हुआ था. कांग्रेस समेत ज्यादातर विपक्षी दलों ने आरोप लगाया था कि सरकार आरक्षण पर चोट कर रही है. इतना ही नहीं एनडीए के घटक दलों ने भी फैसले की आलोचना की थी. जिसके बाद केंद्र सरकार ने लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है. इस मामले को लेकर कार्मिक मंत्री ने यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर सीधी भर्ती के विज्ञापन पर रोक लगा दी गई है. पत्र में लिखा है कि मोदी सरकार का मानना है कि सार्वजनिक नौकरियों में आरक्षण के साथ छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए.


कब शुरू हुआ लेटरल एंट्री सिस्टम ?


पीटीआई के मुताबिक, 1966 में मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में देश में पहले 'प्रशासनिक सुधार आयोग' का गठन किया गया. इसने प्रशासनिक सेवाओं में सुधार की वकालत की. मोरारजी देसाई ने इस बात पर जोर दिया कि सिविल सेवाओं में विशेष स्किल वाले लोगों की जरूरत है. वह मार्च 1977 और जुलाई 1979 के बीच देश के प्रधानमंत्री भी रहे थे. हालांकि, जब मोरारजी ने स्किल वाले लोगों की जरूरत पर जोर दिया था, उस समय लेटरल एंट्री जैसी कोई बात नहीं कही गई थी. 


हालांकि, फिर चार दशक बाद कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन यानी यूपीए की सरकार में लेटरल एंट्री की अवधारणा पहली बार लाई गई. 2005 में यूपीए सरकार ने दूसरे 'प्रशासिक सुधार आयोग' का गठन किया. वरिष्ठ कांग्रेस नेता वीरप्पा मोइली को इसका अध्यक्ष बनाया गया. उन्होंने लेटरल एंट्री स्कीम का जोरदार तरीके से समर्थन भी किया. शुरुआत में लेटरल एंट्री स्कीम के जरिए सिर्फ मुख्य आर्थिक सलाहकार जैसे पद पर नियुक्ति की गई.


लेटरल एंट्री में किसे मिलती है प्राथमिकता


अब सवाल ये है कि आखिर लेटरल एंट्री सिस्टम क्या है. बता दें कि यूपीएससी लेटरल एंट्री के जरिए सीधे उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति की जाती है, जिन पद पर आईएएस रैंक के ऑफिसर यूपीएससी एग्जाम क्वालिफाई करके नियुक्त होते हैं. आसान भाषा में समझिए कि इन सिस्टम में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संगठनों में सीधे उपसचिव यानी ज्वाइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर/डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर उम्मीदवारों की नियुक्ति होती है. इसमें निजी क्षेत्रों से अलग अलग सेक्टर के एक्सपर्ट्स को यूपीएससी प्राथमिकता देती है. जिससे सिस्टम में एक्सपर्ट्स के अनुभवों का लाभ मिले और अलग-अलग योजनाओं-प्रोजेक्ट्स को भी फायदा मिले सके. 


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