नई सरकार बनने के बाद 18वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र की शुरूआत हो चुकी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले संसद के सदस्‍य के तौर पर शपथ ली है. 26 जून को लोकसभा अध्यक्ष का चुनाव होगा और 27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक को संबोधित करेंगी. अक्‍सर नई सरकार बनने के बाद संसद सत्र बुलाई जाती है. ऐसे में आपके मन में भी ये सवाल होगा कि आखिर संसद सत्र कैसे बुलाई जाती है और किसके पास इसे बुलाने का अधिकार होता है? 


हालांकि इससे पहले आपके लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि संसद का सत्र होता क्‍या है और इसे कब-कब बुलाया जा सकता है? भारतीय संसद का एक सत्र वह समय माना जाता है, जिस दौरान सदन लगभग हर दिन बिना किसी रुकावट के काम को मैनेज करता है. आमतौर पर एक साल में तीन सत्र होते हैं और एक सत्र में कई बैठकें होती हैं. संसद के सभी सदस्यों को बैठक के लिए बुलाने की प्रक्रिया को संसद का आह्वान कहा जाता है. 


कौन बुलाता है संसद का सत्र? 
भारत में संसद का सत्र सरकार द्वारा बुलाया जाता है. भारत में संसद सत्र बुलाने का कोई तय संसदीय कैलेंडर नहीं है. परंपरा के अनुसार, संसद एक वर्ष में तीन सत्रों के लिए मिलती है. राष्ट्रपति समय-समय पर संसद के प्रत्येक सदन को बुलाते हैं. संसद के दो सत्रों के बीच का अंतराल 6 महीने से अधिक नहीं हो सकता है, जिसका अर्थ है कि अगर 6 महीने पर भी संसद का सत्र बुलाया जाता है तो एक साल में दो बार संसद का सत्र हो सकता है. 


कितने तरह के होते हैं संसद सत्र 
अक्‍सर देखा जाता है कि तीन तरह के संसद के सत्र बुलाये जाते हैं. इसमें बजट सत्र, जो अक्‍सर फरवरी से मई के बीच होता है. दूसरा मानसून सत्र (जुलाई से सितंबर के बीच) बुलाया जाता है और तीसरा शीतकालीन सत्र (नवंबर से दिसंबर के बीच) बुलाया जाता है. इन सत्रों में बिना रुकावट सदन का काम पूरा किया जाता है. साथ ही देश के गंभीर और ज्‍वलंत मुद्दों पर चर्चा होती है. 


कब विशेष सत्र बुलाया जाता है? 
संसद के इन तीन सामान्‍य सत्रों के अलावा अगर जरूरत पड़ती है तो संसद का विशेष सत्र भी बुलाया जा सकता है. अगर सरकार महसूस करती है कि किसी विषय पर तत्काल संसद सत्र को बुलाने की जरूरत है तो वह राष्‍ट्रपति से इसके लिए अनुमति मांगती है. संविधान के अनुच्छेद 85(1) राष्ट्रपति को ऐसी स्थिति में संसद के प्रत्येक सदन का सत्र बुलाने का अधिकार होता है. 


विशेष सत्र बुलाने की प्रक्रिया 
गौरतलब है कि लोकसभा का विशेष सत्र बुलाने के लिए कुल सदस्यों का कम से कम 10वां हिस्सा यानी लोकसभा के 55 सदस्य, राष्ट्रपति या लोकसभा अध्यक्ष को सत्र बुलाने के कारण और किसी इरादे के बारे में लिखित रूप में देते हैं. संसद का विशेष सत्र संसद के सदस्यों को भेजे गए निमंत्रण नोटिस में दर्ज किसी खास कामकाज को निपटाने के लिए आयोजित किया जाता है और इस दौरान किसी अन्‍य काम पर विचार नहीं किया जाता है.


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