सुप्रीम कोर्ट में कौन सा मामला कौन जज सुनेंगे, ये कौन करता है तय?
सुप्रीम कोर्ट में हजारों मामले आते हैं, ऐसे में कभी सोचा है कि कौन से केस की सुनवाई कौन सा जज करेगा ये तय कैसे होता है? चलिए इस सवाल का जवाब जानते हैं.
भारत का सर्वोच्च न्यायालय यानी सुप्रीम कोर्ट देश की सबसे बड़ी अदालत है. यहां हर रोज हजारों मामले आते हैं. कई बड़े मामलों की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होती है चाहे वो राजनीतिक हों या फिर कानूनी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन मामलों को कौन से जज सुनेंगे, यह फैसला कैसे होता है? वहीं कई केसों में आपने जजों की बैंच के बारे में भी सुना होगा. तो कभी सोचा है कि ये तय कैसे होता है कि कौन सा जज किस मामले की सुनवाई करेगा? चलिए इस सवाल का जवाब जानते हैं.
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सुप्रीम कोर्ट में ये कैसे तय होता है कि कौन सा केस किस जज को दिया जाए?
सुप्रीम कोर्ट में कुछ नियमों के तहत मामले जजों की पीठ को दिए जाते हैं. मुख्य न्यायाधीश के पास यह अधिकार होता है कि वह किसी भी मामले को किसी भी पीठ को दे सकता है. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट में एक रोस्टर सिस्टम होता है, जिसके तहत हर जज को कुछ खास तरह के मामले आवंटित किए जाते हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट का रजिस्ट्रार कार्यालय मामलों के आवंटन में एक जरुरी भूमिका निभाता है. यह कार्यालय मामलों की लिस्ट बनाता है और उन्हें अलग-अलग पीठों को आवंटित करता है.
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बेंच कैसे होती है तय?
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई तीन तरह की बेंच करती हैं. जिसमें सिंगल बेंच, डिवीजन बेंच और कांसट्यिट्यूशन बेंच शामिल हैं. इन बेंचों का निर्धारण मामलों के मुताबिक किया जाता है. जैसे सिंगल बेंच में केवल एक न्यायाधीश मामले की सुनवाई करता है. यह बेंच आमतौर पर तकनीकी और कम जटिल मामलों के लिए होती है. इसके अलावा डिवीजन बेंच में दो न्यायाधीश होते हैं. यह बेंच ज्यादा जरुरी और कठिन मामलों को सुनती है, जिनमें कानूनी नजरिये से विवाद ज्यादा हो. इसके बाद कांसट्यिट्यूशन बेंच पांच या ज्यादा न्यायाधीशों द्वारा गठित की जाती है और केवल उन मामलों को सुनती है, जिनमें संविधान की व्याख्या की आवश्यकता होती है. यह बेंच संविधान से संबंधित मामलों में सर्वोच्च फैसला लेने के लिए उत्तरदायी होती है.
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