देश के प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और राज्य के मुख्यमंत्रियों के पास संवैधानिक रूप से बहुत ताकत होती है. जी हां, ये सच भी है. लेकिन उनके पास सभी ताकत संविधान और नियमों के तहत ही होती हैं. यही कारण है कि कोई भी केंद्रीय मंत्री और मुख्यमंत्री बिना परमिशन के किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए विदेश नहीं जा सकता है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर मुख्यमंत्री को विदेश जाने के लिए किन विभागों से परमिशन लेना पड़ता है. 


विदेश यात्रा


बता दें कि पेरिस ओलंपिक 2024 में भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने ब्रिटेन पर जीत हासिल करके सेमीफाइनल में जगह बना ली है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि टीम जब क्वार्टर फाइनल में पहुंची थी, तो उनका हौसला बढ़ाने के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान पेरिस जाने वाले थे. हालांकि केंद्र सरकार ने उनके विदेश दौरे को मंजूरी नहीं दी थी. जिस कारण वो फ्रांस नहीं जा पाए थे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुख्यमंत्री को विदेश जाने की परमिशन कौन देता है. 


विदेश यात्रा के लिए कौन देता है परमिशन 


बता दें कि केंद्रीय मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को विदेश दौरे से पहले अलग-अलग डिपार्टमेंट से अप्रूवल लेना होता है. वहीं केंद्र और राज्य मंत्रियों को क्लियरेंस मिलने के प्रोसेस में फर्क होता है. जैसे किसी राज्य के मुख्यमंत्री को अगर निजी या काम के सिलसिले से विदेश यात्रा करनी है, तो उन्हें पॉलिटिकल और फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेटिंग एक्ट के तहत क्लियरेंस लेना जरूरी होता है. वहीं अगर कोई सांसद संसद सत्र के दौरान निजी यात्रा पर जा रहा है, तो उसे प्रधानमंत्री की मंजूरी भी जरूरी होती है.


क्या है नियम


विदेश यात्राओं को लेकर मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और अन्य सरकारी अधिकारियों के विदेश यात्रा को लेकर कैबिनेट सचिवालय की ओर से 2015 में एक सर्कुलर जारी किया गया था. जिसके मुताबिक मुख्यमंत्री को विदेश दौरे पर जाने से पहले कैबिनेट सचिवालय और विदेश मंत्रालय को सूचित करना होता है. इसके अलावा मुख्यमंत्रियों और राज्य सरकारों के मंत्रियों के मामले में आवेदन की एक कॉपी इकोनॉमिक अफेयर्स के सचिव को भी भेजी जानी चाहिए. इनके अलावा प्रधानमंत्री ऑफिस को मुख्यमंत्री या किसी राज्य के मंत्री की विदेश यात्रा के बारे में बताना जरूरी होता है.


कौन देता है पॉलिटिकल क्लियरेंस?


अब सवाल ये है कि इन नेताओं को पॉलिटिकल क्लियरेंस कौन देता है. बता दें कि यह क्लियरेंस विदेश मंत्रालय की तरफ से दिया जाता है. यह केवल मुख्यमंत्री या सांसदों को नहीं बल्कि किसी भी सरकारी कर्मचारी को विदेश यात्रा के लिए जरूरी है. क्लियरेंस देने से पहले ये भी देखा जाता है कि कार्यक्रम क्या है, दूसरे देशों की भागीदारी का स्तर और मेजबान देश के साथ भारत के संबंध कैसे हैं. इसके अलावा मुख्यमंत्री की सुरक्षा के पुख्ते इंतजाम को देखकर पॉलिटिकल क्लियरेंस मिलता है. 


इसके अलावा लोकसभा सांसदों को स्पीकर से और राज्यसभा सदस्यों को चेयरमैन यानी (भारत के उपराष्ट्रपति) से मंजूरी की आवश्यकता होती है. इस तरह हर पब्लिक सर्वेंट को अलग-अलग अधिकारियों से विदेश जाने के लिए इजाजत लेनी पड़ती है. 


इन यात्राओं में FCRA क्लियरेंस की जरूरत नहीं 


बता दें कि अगर किसी विदेश यात्रा का पूरा खर्च केंद्र/ राज्य सरकार द्वारा वहन किया जा रहा है. तो उसमें क्लियरेंस की जरूरत नहीं पड़ती है.
इसके अलावा जो विदेश यात्रा किसी व्यक्तिगत कारण से किया जा रहा है और पूरा खर्च संबंधित व्यक्ति द्वारा उठाया जा रहा है.


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