किसने ईजाद की थी नल्ली निहारी, हकीकत जानकर उड़ जाएंगे होश
नल्ली निहारी सुनकर आपके मुंह में पानी आ जाता होगा, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसे इजात किसने किया था? चलिए जान लेते हैं.
दुनियाभर में लोग सुबह का नाश्ता अलग-अलग चुनते हैं, लेकिन भारत के एक क्षेत्र में सुबह लोग नल्ली निहारी जैसा नाश्ता करना पसंद करते हैं. 17वीं शताब्दी से नल्ली निहारी एक खास व्यजंन के रूप में खाया जाता रहा है, लेकिन इसकी उत्तपत्ति आज भी विवादित मानी जाती है. इसे एक शाही भोजन का दर्जा प्राप्त है.
क्या है निहारी?
मूल रूप से निहारी मांस का एक स्टू है जिसे धीमी आंच पर पकाया जाता है. हालांकि आजकल मटन या चिकन भी उतना ही लोकप्रिय है. निहारी में मांस को मसाले के साथ मिलाया जाता है जिसमें गरम मसाला और जीरा जैसे आम मसालों से लेकर पीपली मिर्च जैसे ज्यादा तीखे लगभग 50 मसाले होते हैं. आजकल इस व्यंजन में मज्जा की हड्डियां (नल्ली) और यहां तक कि मगज (दिमाग) जैसी चीजें भी खासतौर पर शामिल की जाने लगी हैं. जो मांस के स्वाद को और बढ़ा देती हैं.
कहां है निहारी का जन्मस्थान?
निहार शब्द अरबी भाषा नाहर का शब्द है, जिसका अर्थ है सुबह. दरअसल इसे नाश्ते के लिए बनाया गया था. कहानी है कि इस व्यंजन की कल्पना सबसे पहले इंडो-फारसी मुगलों के बीच की गई थी और फिर ये विभाजन-पूर्व भारत के नवाबों के दरबार में पहुंचा. दूसरे लोग मानते हैं कि इसका जन्म जामिया मस्जिद की पिछली गिलयों में हुआ था. हालांकि कुछ लोगों का ये भी मानना है कि ये पहली बार अवध के नवाबों के खानसामाओं ने बनाई थी. मटन निहारी आखिरकार शाही दरबार में पहुंची जहां हकीमों ने मुख्य रसोइये को सर्दियों सर्दी और खांसी से जुड़ी बीमारियों को रोकने के लिए मेथी के बीच और हल्दी मिलाने का निर्देश दिया था.
पाकिस्तान के मुख्य व्यंजनों में शामिल
नल्ली निहारी पाकिस्तानी व्यंजनों का एक अभिन्न अंग है. साथ ही ये एक प्रसिद्ध मांस व्यंजन भी है. पाकिस्तान में शरण लेने वाले कई मुसलमान अपने साथ निहारी लेकर आए ते और इसे देश के मुख्य आहार में शामिल किया था. आज के समय में नल्ली निहारी पाकिस्तान के हर रेस्तरां में बनाई जाती है. इसके अलावा निहारी मांस बांग्लादेश के कुछ हिस्सों, मुख्य रूप ढाका और चटगांव में एक पसंदीदा व्यंजन है.
कैसे सुबह का नाश्ता बन गया निहारी?
निहारी के सुबह का नाश्ता बनने की भी एक कहानी है, दरअसल ऊंचे तबके के लोग मजदूरों के सुबह के नाश्ते में निहारी देकर उनसे दिनभर का काम करवा लेते थे. उनका वेतन निहारी ही हुआ करता था, जिसके बाद से निहारी मजदूरों के नाश्ते में शामिल हो गया, जो आज भी कई मजदूरों का मुख्य नाश्ता है.
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