बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद भी अभी तक हिंसा थमी नहीं है. बांग्लादेश के तमाम इलाकों में उपद्रवियों ने आगजनी और तोड़फोड़ की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं. बता दें कि बांग्लादेश में कर्फ्यू लागू है और सेना ने अपने हाथ में सारी व्यवस्थाओं को ले लिया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कर्फ्यू लगाने का आदेश कौन देता है और अभी तक बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन के कारण कितने लोगों की मौत हुई है.  


बांग्लादेश


बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों में प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफे के बाद भी विरोध प्रदर्शन जारी है. अभी तक 14 पुलिसकर्मियों समेत 300 से ज्यादा लोगों लोगों की मौत हो गई. वहीं इस हिंसा में सैकड़ों लोग घायल हुए हैं. इसके अलावा बांग्लादेश में मोबाइल इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई और अनिश्चितकाल के लिए पूरे देश में कर्फ्यू लागू कर दिया. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कर्फ्यू लगाने का आदेश कौन देता है. 


कर्फ्यू का आदेश


अव सवाल ये है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद कर्फ्यू जैसे सुरक्षा से जुड़े फैसले कौन लेगा और किसके आदेश माने जाएंगे. बता दें कि किसी भी देश के सभी बड़े फैसले प्रधानमंत्री-राष्ट्रपति और गृह मंत्रालय अलग-अलग मंत्रालयों और विभागों के अधिकारियों साथ मिलकर लेते हैं. कर्फ्यू जैसे फैसले गृह मंत्रालय के अधीन आते हैं. लेकिन अब बांग्लादेश की स्थिति बदल चुकी है. अब बांग्लादेश की कमान सेना के हाथ में है. बांग्लादेश में कर्फ्यू समेत सभी फैसला अब सेना ही लेगी. हालांकि सेना भी देश के अलग-अलग अधिकारियों के साथ मिलकर हालात को अपने काबू में करने के लिए सभी कोशिश करेगी. 


कैसे शुरू हुई हिंसा?


बता दें कि सरकारी नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था के मुद्दे पर हुए बवाल को लेकर सरकार के इस्तीफे की मांग कर रहे थे. इस बीच प्रदर्शनकारी ‘स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन' के बैनर तले आयोजित ‘असहयोग कार्यक्रम' में भाग लेने पहुंचे थे. जिसके बाद अवामी लीग, छात्र लीग और जुबो लीग के कार्यकर्ताओं ने उनका विरोध किया था और फिर दोनों पक्षों के बीच झड़प हुई थी.


बांग्लादेश की कमान सेना के हाथ


क्या आप जानते हैं कि सैन्य शासन क्या होता है. बता दें कि जब किसी देश की कमान सेना के हाथ में होती है, तो सेना के अधिकारी ही सभी बड़े फैसले लेते हैं. सैन्य शासन दो तरीके से सरकार चला सकते हैं. इसमें पहला ये है कि सेना के अधिकारी अकेल देश पर शासन कर सकते है. दूसरी स्थिति में सेना के अधिकारियों का दल देश की सभी चीजों की निगरानी करके उस पर फैसला लेते हैं. बांग्लादेश में अब सैन्य शासन है. 


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