चुनाव नतीजों के बाद और शपथ ग्रहण से पहले तक कौन चलाता है राज्य की सरकार?
Caretaker Government Rules: अक्सर कई लोगों को मन में सवाल आता है कि चुनाव नतीजों के बाद और शपथ ग्रहण से पहले तक कौन चलाता है राज्य की सरकार? चलिए आपको बताते हैं.
Caretaker Government Rules: भारत में आए दिन कहीं न कहीं किसी स्तर पर चुनाव होते ही रहते हैं. हाल ही में भारत के दो राज्यों हरियाणा औऱ जम्मू कश्मीर में चुनाव संपन्न हुए हैं. जम्मू कश्मीर में जहां एनसीपी और कांग्रेस के एलाइंस को बहुमत मिला है. तो वहीं हरियाणा में लगातार तीसरी बार भाजपा की सरकार बनने जा रही है. भारत में चुनाव परिणाम के घोषित होने के बाद पार्टी को बहुमत साबित करना होता है.
इसके बाद शपथ ग्रहण समारोह का दिन तय किया जाता है. इसके बाद नई सरकार का गठन होता है. फिर जाकर राज्य की सत्ता नई सरकार को सौंप दी जाती है. अक्सर कई लोगों को मन में सवाल आता है कि चुनाव नतीजों के बाद और शपथ ग्रहण से पहले तक कौन चलाता है राज्य की सरकार? चलिए आपको बताते हैं.
कार्यवाहक सरकार के पास होता है जिम्मा
जब चुनाव समाप्त होते हैं. और किसी एक पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिल जाता है. या फिर किसी गठबंधन को बहुमत मिल जाता है. तो फिर राज्य के राज्यपाल नई सरकार की गठन के लिए एक दिन करते हैं. उस दिन नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह होता है. जिसमें मुख्यमंत्री समेत और अन्य मंत्री शपथ लेते हैं. कई लोगों के मन में यह सवाल आता है कि चुनाव नतीजा के आने के बाद से लेकर शपथ ग्रहण समारोह तक के वक्त तक राज्य में सरकार कौन चलाता है.
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क्योंकि चुनाव के बाद कई बार नई पार्टी को भी बहुमत मिल जाता है. पहले से सरकार चला रही पार्टी सत्ता से बाहर हो जाती है. लेकिन आपको बता दें चुनावों के परिणाम जो भी हों इस अवधि के दौरान पहले से सरकार चला रही ही गवर्नमेंट ही राज्य में सरकार चलाती है. इस अवधि को कार्यवाहक सरकार का कार्यकाल कहा जाता है.
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क्या होती है कार्यवाहक सरकार?
कार्यवाहक सरकार को केयरटेकर गवर्नमेंट भी कहा जाता है. जो चुनाव के बाद नई सरकार के शपथ ग्रहण से पहले राज्य में शासन की जिम्मेदारी संभालती हैं. इसका गठन तब किया जाता है, जब मौजूदा सरकार का कार्यकाल पूरा हो चुका होता है लेकिन अभी नई सरकार का गठन नहीं हुआ होता है.
इस सरकार की अवधि सिर्फ तब तक रहती है जब तक नई विधानसभा और नई सरकार के गठन नहीं हो जाता. इस सरकार के पास प्रशासनिक और जरूरी कामों को ही लेकर फैसले लेने का अधिकार होता यह सरकार बड़े नीतिगत फैसले नहीं ले सकती.
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