भारत में डॉक्टर, इंजीनियर, वकील जैैसे पैशे बहुत अच्छे माने जााते हैं. जिनमें डॉक्टर का पेशा सबसे अच्छा माना जाता है. डॉक्टर्स को धरती का भगवान कहा जाता है. जो मरीज को मौत के मुंह से भी बचा लेते हैं. यही वजह है कि हर घर में डॉक्टर बनने का सपना देखा जाता हैै. इस क्षेत्र में पुरुषों के साथ महिलाओं की भी अच्छी भागीदारी होती है. हालांकि बहुत कम ही लोग जानते हैं कि भारत में पहली महिला डॉक्टर कौन थीं. तो चलिए आपको नहीं पता तो आज जान लेते हैं.
ये थीं पहली महिला डॉक्टर
बता दें भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदीबाई जोशी थीं. जिनका जन्म 31 मार्च 1865 में पुणे में हुआ था. आपको जानकर हैरानी होगी कि उस समय में आनंदीबाई ने विदेश जाकर डॉक्टरी की डिग्री हासिल की थी जब महिलाओं को शिक्षा प्राप्त करना ही मुश्किल था.
बच्चे की मौत के बाद लिया डॉक्टर बनने का फैसला
आनंदीबाई जब 9 साल की थीं तभी उनकी शादी उनसे 20 साल बड़े गोपालराव से कर दी गई थी. फिर 14 वर्ष की उम्र में वो पहली बार मां बनी थीं. हालांकि जन्म के महज 10 दिन बाद ही उनके बच्चे की मौत हो गई थी. जिससे आनंदीबाई को काफी ठैस पहुंची और तभी उन्होंने डॉक्टर बनने का फैसला कर लिया था.
पति ने दिया साथ
आनंदीबाई के इस फैसले में उनके पति गोपालराव ने उनका साथ दिया. इस दौरान उन्हें समाज से काफी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा, हालांकि उनने इसकी परवाह नहीं की और आगे बढ़ने का फैसला किया. आनंदीबाई जब 1883 में कोलकाता के तट से पानी के जहाज में सवार हो रही थीें उस समय उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं था. हालांकि फिर भी वो गईं और पेंसिल्वेनिया के महिला विश्वविद्यालय में दाखिला लिया. वो 1886 में भारत लौंटी और उन्हें अल्बर्ट एडवर्ड अस्पताल में महिला वार्ड की चिकित्सा प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया गया था. हालांकि अमेरिका और यहां के मौसम में बदलाव के चलते उन्हें टीबी हो गई और महज 22 साल की उम्र में ही उनका निधन हो गया.
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