PM Narendra Modi: कौन थे पीएम मोदी के गुरु, जो उन्हें राजनीति में लाए, आज भी करते हैं उन्हें बेहद याद?
पीएम नरेंद्र मोदी बतौर प्रधानमंत्री अपना तीसरा कार्यकाल शुरू कर चुके हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी के राजनीतिक और आध्यात्मिक गुरु कौन थे? पीएम आज भी उन्हें करते हैं याद.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बतौर पीएम अपनी तीसरी पारी शुरू कर चुके है. देश के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम नरेंद्र मोदी लगातार सक्रियता के साथ अलग-अलग बैठकों में शामिल हो रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पीएम नरेंद्र मोदी के गुरु कौन थे, जो उन्हें राजनीति में लेकर आए थे. आज हम आपको बताएंगे कि पीएम नरेंद्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु और राजनीतिक गुरु कौन थे.
नरेंद्र मोदी की राजनीतिक शुरूआत
बता दें कि पीएम नरेंद्र मोदी बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को अपना राजनीतिक गुरु मानते हैं. दरअसल नरेंद्र मोदी बचपन से ही आरएसएस संगठन से जुड़े हुए थे. लेकिन राजनीति में सक्रियता उनकी लालकृष्ण आडवाणी से मिलने के बाद शुरू हुई थी. दरअसल 25 नवंबर 1990 को लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में रथ यात्रा निकली थी. जिसे भारत में अपार जनसमर्थन मिला था. वहीं गुजरात में रथ यात्रा के संयोजक खुद नरेंद्र मोदी थे. इस यात्रा के दौरान नरेंद्र मोदी लालकृष्ण आडवाणी के सारथी बने थे. हालांकि आडवाणी की यात्रा जब बिहार में पहुंची थी, उस वक्त लालू प्रसाद यादव की सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.
नरेंद्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु
जानकारी के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आध्यात्मिक गुरु स्वामी दयानंद गिरि थे. हालांकि साल 2015 में उन्होंने अंतिम सांस लिया था. माना जाता है कि स्वामी दयानंद का नरेंद्र मोदी के जीवन पर गहरा प्रभाव था. वह अपने गुरु की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. पीएम नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने से पहले भी स्वामी जी के संपर्क में थे. स्वामी दयानंद सरस्वती से उनका रिश्ता बहुत पुराना था.
जानकारी के मुताबिक नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने बड़े आदर के साथ अपने गुरु दयानंद गिरि को गांधीनगर बुलाकर उनका स्वागत किया था. स्वामी दयानंद गिरि हरिद्वार के ऋषिकेष में दयानंद सरस्वती आश्रम और कोयंबटूर में अर्श विद्या गुरुकुलम के शिक्षक थे. स्वामी दयानंद गिरि शंकर परंपरा के वेदांत और संस्कृत के शिक्षक थे, जो करीब 50 सालों से देश और विदेश स्तर पर वेदांत की शिक्षा दे रहे थे. इतना ही नहीं आज की समस्याओं का समाधान वेदांत के जरिए समझाने का नजरिया उन्हें औरों से अलग करता था. इसके चलते वह पारंपरिक और आधुनिक दोनों ही तरह के छात्रों तक आसानी से पहुंच बना लेते थे. जानकारी के मुताबिक सरस्वती आश्रम के पूरे भारत में 100 से ज्यादा केंद्र संचालित किए जाते हैं, जबकि ऋषिकेश, कोयंबटूर और नागपुर में कुल तीन मुख्य केंद्र हैं. वहीं अमेरिका के पेंसिलविनिया में भी आश्रम का एक केंद्र है.
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