Hamas Israel War: इजरायल पिछले कई दिनों से दुनियाभर में चर्चा का विषय बना हुआ है. चरमपंथी संगठन हमास के लड़ाकों ने इजरायल पर करीब 14 दिन पहले अचानक मिसाइलों की बरसात कर दी, जिसके बाद इजरायल ने युद्ध का ऐलान कर दिया. इस संघर्ष में अब तक करीब 5 हजार लोगों की मौत हो चुकी है. इजरायल एक यहूदियों का देश है, जिसके बसने के बाद से ही विवाद भी शुरू हो गया और अब तक कई जंग हो चुकी हैं. चारों तरफ मौजूद मुस्लिम देश इजरायल के कट्टर दुश्मन हैं. ऐसे में क्या आप जानते हैं कि यहूदियों ने अपने देश का नाम इजरायल क्यों रखा?


ऐसे रखा गया इजरायल का नाम
दरअसल इजरायल का नाम एक पैगंबर के नाम पर रखा गया है. जिन्हें यहूदी लोग अपने भगवान की तरह मानते हैं. ऐसा माना जाता है कि पैगंबर हजरत इब्राहिम से ही यहूदी धर्म की शुरुआत हुई थी. जिनके एक वंशज का नाम इजरायल था, इन्हीं के नाम पर यहूदियों ने अपने देश का नाम भी इजरायल रख दिया. इनका नाम याकूब भी था. 


यहूदा से बना यहूदी
मान्यता है कि इजरायल के 12 बेटे हुए, जिनसे 12 अलग-अलग कबीले बने. इनमें सबसे प्रमुख बेटे का नाम यहूदा था, जिसे जुडाह भी कहा जाता था. इसके बाद इन्हें मानने वाले लोगों को यहूदी कहा गया. साथ ही अंग्रेजी में यहूदियों को ज्यूडिश कहा जाता है. बता दें कि हजरत इब्राहिम को यहूदी, ईसाई और मुस्लिम तीनों ही अपना सबसे बड़ा पैगंबर या भगवान मानते हैं.


इसके बाद यहूदी हजरत मूसा को अपना आखिरी पैगंबर मानते हैं. मूसा को यहूदियों का व्यवस्थाकार बताया जाता है. उन्होंने पहले से चली आ रही एक परंपरा को स्थापित कर इसे एक धर्म के तौर पर लोगों के सामने रखा. इसी तरह यहूदी दुनियाभर में फैलने लगे और अपने धर्म को आगे बढ़ाने का काम किया. हालांकि यहूदी धर्मांतरण में विश्वास नहीं रखते हैं, यही वजह है कि उनकी आबादी काफी कम है.


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