उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में बना ताजमहल एक विश्व धरोहर मकबरा है. बता दें कि इसे मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में 17वीं सदी में बनवाया था. ताज महल का नाम यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल की सूची में भी शामिल है. जानकारी के मुताबिक ताजमहल को बनाने में करीब 22 साल लग थे. लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि शाहजहां ने किसकी जमीन पर ताजमहल बनवाया था. आज हम आपको बताएंगे कि शाहजहां ने किस हिंदू राजा के जमीन पर ताजमहल बनवाया था.
किसकी जमीन पर ताजमहल ?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के मुताबिक ताजमहल की जमीन राजस्थान में आमेर के कछवाहों की जायदाद थी. जब शाहजहां को अपनी बेगम मुमताज के लिए ताजमहल बनवाना था, उस वक्त उन्होंने ताजमहल बनवाने के लिए कछवाहों से जमीन खरीदा था. इतना ही इसके बदलने मुगल बादशाह ने कछवाहों को चार हवेलियां दी थी. हालांकि मुआवजे के तौर पर दी गई हवेलियों के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती है. लेकिन दरबारी इतिहासकार हामिद लाहौरी ने बादशाहनामा और फरमान जैसे अपने कामों में ताजमहल के लिए कछवाहों से जमीन खरीदे जाने का जिक्र किया है. बता दें कि ताजमहल करीब 60 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है. इसका निर्माण कार्य 22 साल के काम के बाद 1648 में पूरा हुआ था.
ताजमहल नहीं था पहले नाम
शाहजहां ने जब मुमताज को कब्र में दफनाया था, तो बादशाह शाहजहां ने सफेद संगमरमर से बनी इस खूबसूरत इमारत का नाम ‘रऊजा-ए-मुनव्वरा’ रखा था. हालांकि कुछ समय बाद इसका नाम बदलकर ताजमहल कर दिया गया था. जानकारी के मुताबिक उस दौर में इसे बनाने में 3.2 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे. इतना ही नहीं इस इमारत में 28 अलग-अलग किस्म के पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है. इसके अलावा ताजमहल को बनाने में 20,000 से ज्यादा मजदूरों ने दिनरात मेहनत की थी.
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