ईरान-इजरायल युद्ध के बीच मिडिल ईस्ट देश में तनाव बढ़ गया है. मंगलवार की रात को ईरान ने इसराइल पर एक के बाद एक करके 200 मिसाइलें दागी. जिसमें ज्यादातर मिसाइल को हवा में ही मार गिराया गया, हवा में मिशनों को नष्ट करने में सबसे ज्यादा भूमिका इसराइल के रक्षा कवच कहे जाने वाले आयरन डोम की रही.
अब ईरान पर इजरायल हमले की तैयारी कर रहा है. जिससे एक चर्चा यह छिड़ गई है कि आखिर कौन किसके साथ है ईरान के साथ कौन से देश खड़े हैं और इजरायल के साथ कौन से देश खड़े हैं? वहीं भारत के लोगों को भी यह जानने की दिलचस्पी है कि आखिर भारत किस देश के साथ है ईरान के साथ या इजरायल के साथ, तो आइए जानते हैं कि भारत का इन दोनों देशों के बीच जंग को लेकर क्या रुख है? इसराइल-ईरान संघर्ष के बीच भारत ने इन दोनों देशों में रह रहे अपने नागरिकों के लिए एडवाइज़री जारी की है. भारत इस मुद्दे पर शांतिपूर्ण समझौते के पक्ष में रहा है.
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संयुक्त राष्ट्र महासभा ने कही थी ये बात
हालांकि भारत साल 1988 में फ़लस्तीनी राष्ट्र को मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था. लेकिन हाल के वर्षों में मध्य-पूर्व के हालात पर भारत किसी एक पक्ष की तरफ स्पष्ट तौर पर झुका नज़र नहीं आता है.
पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसराइल के ख़िलाफ़ लाए गए एक प्रस्ताव में एक साल के अंदर ग़ज़ा और वेस्ट बैंक में इसराइली कब्ज़े को ख़त्म करने की बात कही गई थी.
ये प्रस्ताव इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ़ जस्टिस यानी आईसीजे की एडवाइज़री के बाद लाया गया था. 193 सदस्यों की संयुक्त राष्ट्र महासभा में 124 सदस्य देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में वोट किया.
14 देशों ने इस प्रस्ताव के ख़िलाफ़ वोटिंग की और भारत समेत 43 देश इस वोटिंग से दूर रहे.
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ब्रिक्स में शामिल हैं ये देश
ब्रिक्स गुट में ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ़्रीका शामिल हैं. ब्रिक्स गुट में भारत एकमात्र देश है, जो वोटिंग से बाहर रहा था.
इसराइल उन देशों में है, जो अपने डिफेंस के लिए भारी-भरकम पैसा खर्च करते हैं. यह अत्याधुनिक तकनीकों और हथियारों के मामले में भी टॉप देशों में शामिल रहा है. इजरायल का रक्षा बजट (Israel Defence Budget) 24.4 अरब डॉलर है
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