एडल्ट फिल्मों को ब्लू फिल्म ही क्यों बोलते हैं... रेड, ग्रीन क्यों नहीं?
आज जैसे लोग पेन ड्राइव या एसडी कार्ड या फोन और लैपटाॅप में मूवी देख सकते हैं. काफी समय पहले ऐसा नहीं था. पहले फिल्में वीसाआर में देखीं जाती थीं. तो एडल्ट फिल्में एंटरटेनमेंट फिल्मों की आड़ में बेची जाती थी.
दुनिया में 19वीं सदी के करीब सिनेमा की शुरूआत हुई. सिनेमा का अविष्कार किसी एक व्यक्ति ने नहीं किया. बल्कि समय के साथ का प्रारूप बदलता गया. दुनिया की पहली फिल्म 1888 में बनी थी. जिसका नाम 'राउंडहे गार्डन सीन' था. दुनिया की पहली पूरी रंगीन फिल्म की बात करें तो साल 1922 में आई थी. जिसका नाम था 'द टोल ऑफ़ द सी'. फिल्मों का उद्देश्य लोगों का मनोरंजन करने के लिए था. फिर पोर्न फिल्में भी मार्केट में आई. आज दुनिया भर में पोर्न फिल्में खूब देखी जाती है. लेकिन क्या आपको पता है पोर्न फिल्मों को ब्लू फिल्म क्यों कहा जाता है. चलिए जानते हैं पूरी कहानी.
मानी जाती है यह वजह
आज जैसे लोग पेन ड्राइव या एसडी कार्ड या फोन और लैपटाॅप में मूवी देख सकते हैं. काफी समय पहले ऐसा नहीं था. पहले फिल्में वीसाआर में देखीं जाती थीं. तो एडल्ट फिल्में एंटरटेनमेंट फिल्मों की आड़ में बेची जाती थी. जब लोग एडल्ट फिल्में लेने जाते थे तब दुकानदार ने ब्लू पैकेट में दिया करते थे. और ऐसा कहा जाता है तब से ही इनका नाम ब्लू फिल्म पड़ गया. एक वजह फिल्मों की यानी एडल्ट फिल्मों की शुरुआत हुई थी. तब इनका बजट बेहद कम हुआ करता था ऐसे में कलरफुल फिल्में बनाना काफी मुश्किल हो काम हुआ करता था. इसीलिए इन्हें ब्लैक एंड व्हाइट पर शूट किया जाता था. लेकिन रंगीन फिल्म की तरह दिखने के लिए इसमें नीला रंग ऐड किया जाता था. जिसके चलते स्क्रीन दिखाई देने लगती थी. ब्लू फिल्म कहा जाने लगा.
एक थ्योरी यह भी
कहा जाता है कि दुनिया की जो पहले एडल्ट मूवी थी उसका नाम ही ब्लू मूवी था. और फिल्म है तकनीकी कारण के चलते इसका हर सीन नीला दिखाया गया था. इसीलिए इस फिल्म का नाम ही ब्लू फिल्म रख दिया गया था. कहा जाता है कि यह पहले ब्लू फिल्म अमेरिका के थिएटर में रिलीज हुई थी.
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