(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
हिमालय पर्वत के ऊपर से क्यों नही उड़ते हवाई जहाज? इसके पीछे हैं कई कारण
हिमालय पर्वत के ऊपर से किसी भी यात्री विमान के लिए कोई रुट निर्धारित नहीं किया गया है. इसके पीछे एक नहीं कई कारण हैं. सभी के बारे में जानिए...
Why Airplanes do not fly over the Himalayas: बचपन से स्कूल की किताबों में सभी ने हिमालय के बारे में पढ़ा है. स्कूल में बच्चों को पढ़ाया जाता है कि हिमालय देश का मुकुट है. यह देश का सुरक्षा कवच है. टीवी और सोशल मीडिया पर इसकी खूबसूरती भी देखी जा सकती है. हर किसी को पहाड़ों में घूमने जाना अच्छा लगता है. लेकिन क्या आपको पता है कि आप इसकी खूबसूरती के नजारे इसके ऊपर से उड़ते हुए नही देख सकते हैं?
जी हां, हिमालय के ऊपर से उड़ान नहीं भरी जा सकती है. आप इसके ऊपर से सफर नहीं कर सकते हैं. दरअसल, इस विशायकाय पर्वत के ऊपर से किसी भी यात्री विमान के लिए कोई रुट निर्धारित नहीं किया गया है. अब जरूर आप इसके पीछे का कारण भी जानना चाहेंगे. लेकिन इसके पीछे एक नहीं, कई कारण हैं. आइए जानते हैं...
मौसम है पहला कारण
हिमालय का मौसम लगातार बदलता रहता है और काफी खराब भी रहता है. यहां का मौसम विमानों की उड़ान के लिए अनकूल नहीं होता है. बदलता मौसम विमानों के लिए काफी खतरनाक होता है. विमान में यात्रियों के हिसाब से एयर प्रेशर रखा जाता है. लेकिन हिमालय में हवा की स्थिति काफी असामान्य रहती है जो यात्रियों को भारी नुकसान पहुंचा सकती है. इसलिए इसके ऊपर से कोई भी रूट नहीं रखा गया है.
इसकी ऊंचाई सबसे बड़ा कारण
इसके ऊपर से हवाई जहाजों के न उड़ने का सबसे बड़ा कारण इसकी ऊंचाई है. हिमालय पर्वत की ऊंचाई लगभग 29 हजार फीट है. वहीं, हवाई जहाज औसतन 30 से 35 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भरते हैं. लेकिन हिमालय की ऊंचाई विमानों के लिए खतरनाक है. दरअसल, आपातकाल के दौरान विमान में 20-25 मिनट की ही ऑक्सीजन होती है, आपातकाल की स्थिति में प्लेन को 8-10 हजार फीट की ऊंचाई पर ही उड़ान भरनी होती है, ताकि यात्रियों को सांस लेने में कोई दिक्कत न हो. लेकिन इस विशालकाय पर्वतमाला में 20-25 मिनट के समय में 30-35 हजार फीट से 8-10 हजार फीट पर आना संभव नहीं है.
नेविगेशन की कमी
हिमालय के इलाकों में नेविगेशन की उचित सुविधा मौजूद वहीं है. यहां आप पास कोई भी नेविगेशन सुविधा नहीं है. ऐसे में आपातकाल में विमान एयर कंट्रोल से संपर्क नहीं कर सकते हैं. आपातकाल की स्थिति में प्लेन को कम से कम समय में नजदीकी एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिग करनी पड़ जाती है, जबकि हिमालय के इलाकों में दूर-दूर तक कोई एयरपोर्ट नहीं बना हुआ है. यही कारण हैं कि विमानों को बेशक घूम-फिरकर जाना पड़े, लेकिन उनका रूट हिमालय के ऊपर से नहीं बनाया गया.
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