फिल्म हो या इंटरनेट पर मौजूद तमाम तस्वीरें...एलियन के बारे में जैसे ही आप पढ़ना या कुछ देखना चाहेंगे तो आपको हर तरफ हरे रंग के पतले दुबले अजीब से छोटे जीव दिखाई देंगे. लेकिन अब सवाल उठता है कि आखिर किसने ये तय किया कि एलियन ऐसे ही दिखते हैं. 


सबसे बड़ी बात कि इसे पूरी दुनिया ने कैसे स्वीकार कर लिया. क्या सच में किसी ने एलियन देखा था, जिसकी कहानी पर पूरी दुनिया को यकीन है. चलिए इस बारे में विस्तार से जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्यों एलियन को हमेशा हरे रंग के अजीबोगरीब जीवों के तौर पर दिखाया जाता है.


एलियन और हरा रंग


इंडियाना की डेपॉव यूनिवर्सिटी में जरनल साइंस फिक्शन स्टडीज के मैनेजिंग एडिटर आर्थर इवांस, लाइव साइंस को दिए अपने एक इंटरव्यू में कहते हैं कि इस एलियन और हरे रंग की कहानी 12वीं सदी से जुड़ हुई है. दरअसल, उस दौरान यूरोप, खासतौर से इंग्लैंड में जो कुछ भी होता था, उसका असर पूरी दुनिया पर पड़ता था. 12वीं सदी में ही इंग्लैंड के एक गांव वूलपिट की कहानी तेजी से यूरोप में फैल रही थी.


ये कहानी थी 'द ग्रीन चिल्ड्रेन ऑफ वूलपिट'. यूरोप में जो भी लोग वूलपिट गांव के उन हरे बच्चों की कहानी सुन रहे थे, उसे सच मान रहे थे. इन बच्चों को लेकर कहा जा रहा था कि इनकी स्किन हरे रंग की थी और ये सिर्फ हरे रंग की चीजें ही खा रहे थे. गांव वालों के लिए हैरानी की बात ये थी कि बच्चों को लोकल भाषा भी नहीं आ रही थी.


लेकिन कुछ समय बाद जब बच्चों को गांव वालों की भाषा समझ आई तब उन्होंने बताया कि वो सैंट मार्टिन्स लैंड से आए हैं. कहते हैं कि थोड़े समय के बाद उन दो बच्चों में से एक तबियत अचानक खराब हो गई और वो मर गया. हालांकि, इस कहानी से ये तो समझ आता है कि एलियन को हरे रंग का क्यों माना गया. लेकिन अब सवाल उठता है कि आखिर इनके आकार को बच्चों की तरह ना दिखा कर किसी अजीब तरह से क्यों दिखाया जाता है.


छोटे और अजीब आकार के एलियन


इंसान जब गुफाओं में रहते थे तो वो अपने आसपास होने वाली घटनाओं को चित्र के माध्यम से गुफाओं की दीवारों पर दर्शाने का प्रयास करते थे. ऐसे कई चित्र गुफाओं में मिले हैं, जिनमें अजीब तरह के लोग और उड़न तश्तरी यानी यूएफओ जैसी चीजें दर्शाई गई हैं. कुछ साल पहले भारत के छत्तीसगढ़ में मौजूद चरामा में भी एक गुफा में ऐसे चित्र मिले थे.


टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, आर्कियोलाजिस्ट जे. आर. भगत कहते हैं कि गुफाओं में बनीं ये पेंटिंग्स लगभग 10 हजार साल पुरानी हैं. वो कहते हैं पेंटिंग्स में बनी आकृतियां उसी तरह की हैं जैसा एलियन और यूएफओ को लेकर फिल्मों में दिखाया जाता है. यानि एलियन की आकृतियों के तार हजारों साल पहले गुफाओं में बनी पेंटिंग्स से जुड़े हैं.


सेना प्रमुख का बयान और लिटिल ग्रीन मैन की थ्योरी


21 अप्रैल साल 2016 . ये तारीख अमेरिकी सेना प्रमुख मार्क मिले के एक बयान की वजह से इतिहास में दर्ज हो गई. दरअसल, इसी दिन वरमोंट राज्य में नॉरविच यूनिवर्सिटी के मिलिट्री रिजर्व ट्रेनिंग प्रोग्राम में मार्क मिले ने एक भाषण दिया और इस भाषण में उन्होंने कहा  ‘आप सबको लिटिल ग्रीन मैन’ से निपटना होगा. हालांकि, यहां उन्होंने लिटिल ग्रीन मैन यानी रूस और यूक्रेन के सैनिकों के बारे में कहा था. क्योंकि इनकी वर्दी का रंग हरा होता है. बीबीसी ने इसे समझाते हुए एक खबर भी छापी.


लेकिन तब तक दुनिया में लिटिल ग्रीन मैन को लोग एलियन समझ लिए और इस पर तरह-तरह की कहानियां गढ़ी जाने लगीं. दरअसल, अमेरिका को लेकर ये थ्योरी हमेशा से रहती है कि उसका संपर्क दूसरी दुनिया के जीवों से है. चाहे वो एरिया 51 की कहानियां हों या अमेरिकन नेवी का यूएफओ से एनकाउंटर. यही वजह है कि जब अमेरिकी सेना के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल ने लिटिल ग्रीन मैन कहा तो लोगों ने सबसे पहले इसे दूसरी दुनिया के जीवों से ही जोड़ कर देखा.


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