अफगानिस्तान में माओं के सामने क्यों दम तोड़ रहे बच्चे? 6 महीने में हुई 700 बच्चों की मौत
अफगानिस्तान में इन दिनों बच्चों की जिंदगी पलभर में ही खत्म हो रही है. देश में पिछले 6 महीने में 700 बच्चों की जान जा चुकी है. ऐसे में चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों हो रहा है.
किसी भी मां के लिए उसके बच्चे से जरुरी कुछ नहीं होता, लेकिन क्या हो जब मां के सामने ही बच्चे की जान जा रही हो? अफगानिस्तान में फिलहाल ऐसे ही हालात हैं. यहां माओं के सामने बच्चे अपनी जान गंवा रहे हैं. स्थिति ये है कि पिछले 6 महीनों में यहां 700 बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं. अफगानिस्तान में ये हालात क्यों बने हैं और इसकी वजह क्या है चलिए आज हम इस स्टोरी में जानते हैं.
अफगानिस्तान में क्यों जा रही बच्चों की जान?
अफगानिस्तान में लगातार होती बच्चों की मौत की वजह कोई और नहीं बल्कि गरीबी है. यहां लोगों को पर्याप्त खाना तक नहीं मिल पा रहा, जिस वजह से बच्चों की जान जा रही है. हालात ये हैं कि यहां कुपोषित बच्चों से अस्पताल भरे हुए हैं, लेकिन हालात इस हद तक बेकाबू हो चुके हैं कि डॉक्टर्स तक बच्चों की जान नहीं बचा पा रहे हैं.
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32 लाख गंभीर कुपोषित बच्चे
अफगानिस्तान में 32 लाख गंभीर कुपोषित बच्चे हैं. ये ऐसे हालात हैं, जिनसे अफ़गानिस्तान कई दशकों से जूझ रहा है. इसके पीछे की वजह है 40 साल का युद्ध, ग़रीबी और तीन साल पहले तालिबान के क़ब्ज़े के बाद पैदा हुए हालात. अब देश में हालात हर दिन बेकाबू होते जा रहे हैं. क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि देश में 32 लाख गंभीर कुपोषण के शिकार बच्चे कैसे दिखते होंगे. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां 7 से 8 बिस्तर पर लगभग 18-18 बच्चे लेटे हुए हैं. हॉस्पिटल में कोई भी बच्चा रो या बड़बड़ाता नजर नहीं आ रहा है. हर जगह ऐसा सन्नाटा है कि उससे की कोई बेचैन हो जाए.
यहां बच्चों को किसी तरह की बेहोश करने वाली दवा नहीं दी गई है, बल्कि वो जगे हुए हैं लेकिन इतने कमजोर हो चुके हैं कि हिल-डुल भी नहीं सकते या किसी तरह की कोई आवाज नहीं निकाल रहे हैं.
बेमौत हो रही बच्चों की मौत
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, नंगरहार में तालिबान के पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट ने बताया कि अस्पताल में पिछले छह महीने में 700 बच्चों की मौत हुई है मतलब हर रोज़ तीन से ज़्यादा बच्चे मर रहे हैं. ये एक चौंका देने वाला आंकड़ा है लेकिन ये और भी अधिक होता यदि इसे स्वास्थ्य केंद्र को वर्ल्ड बैंक और यूनिसेफ का फंड नहीं मिल रहा होता.
अगस्त 2021 तक अफ़गानिस्तान के लगभग सभी पब्लिक हेल्थकेयर सेंटर को अंतरराष्ट्रीय फंडिंग की मदद से चलाया गया, लेकिन जब तालिबान ने इस देश पर कब्जा किया तो फंडिंग रोक दी गई क्योंकि कई तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध लगाए गए. जिसकी वजह से यहां हेल्थकेयर सुविधाएं चौपट हो गईं. ऐसे में सहायता पहुंचाने वाली एजेंसियां आगे आईं और अस्थायी तौर पर मदद पहुंचा रही हैं, लेकिन ये भी अफगानिस्तान में मददगार साबित नहीं हो पा रही हैं. यहां लगातार कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ रही है जो उनकी जान तक ले रहा है.
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