नेपाल में क्यों हो रही है कुत्तों की पूजा? जानें आखिर क्या है कुकुर तिहार
कई जगहों पर कुछ ऐसे अनोखे त्योहार मनाए जाते हैं जिनके बारे में जानकर भी आपको आश्चर्य होगा. आज हम आपको नेपाल में मनाए जाने वाले एक ऐसे ही त्योहार के बारे में बता रहे हैं.
हमारे देश में अलग-अलग धर्म और त्योहार मनाए जाते हैं. हर त्योहार को मनाने का एक अलग तरीका होता है. ऐसा ही एक त्योहार नेपाल में भी मनाया जाता है. इस त्योहार और इसे मनाने के तरीके को जानकर आप हैरान हो जाएंगे. जी हां, नेपाल में कुकुर तिहार नाम का त्योहार मनाया जाता है. इस त्योहार को कुत्तों का त्योहार भी कहा जाता है. दरअसल इस त्योहार में नेपाल में कुत्तों को खास सम्मान दिया जाता है और उन्हें देवता की तरह पूजा जाता है. जहां पूरे देश में 31 अक्टूबर को दीवाली का त्योहार मनाया जा रहा था वहीं नेपाल में इस दिन को कुकुर तिहार के रूप में सेलिब्रेट किया जा रहा था. नेपाल में ये पांच दिन का त्योहार होता है, जिसे खास तरीके से सेलिब्रेट किया जाता है. तो चलिए इस त्योहार के बारे में जानते हैं.
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क्यों मनाया जाता है कुकुर तिहार?
नेपाल में दिवाली के आसपास मनाया जाने वाला कुकुर तिहार या कुत्तों का त्योहार, दुनिया भर में अपनी अनोखी परंपरा के लिए जाना जाता है. इस त्योहार में कुत्तों को देवता के रूप में पूजा जाता है और उन्हें खास सम्मान दिया जाता है.
हिंदू धर्म में कुत्तों को यमराज के दूत माना जाता है. यमराज मृत्यु के देवता हैं. मान्यता है कि कुत्ते यमराज के संदेशवाहक होते हैं और मृत आत्माओं को यमलोक तक ले जाते हैं. साथ ही कुत्ते सदियों से मनुष्य के सबसे वफादार साथी रहे हैं. वो घरों की रक्षा करते हैं और लोगों की सुरक्षा करते हैं. कुकुर तिहार में कुत्तों की इन गुणों को सम्मानित किया जाता है. इसके अलावा यह त्योहार पशुओं के प्रति प्रेम और सम्मान को बढ़ावा देता है. कुत्तों को भोजन, पानी और स्नान कराया जाता है और उन्हें प्यार से सहलाया जाता है.
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कैसे मनाया जाता है कुकुर तिहार?
इस त्योहार को मनाने का तरीका भी अलग है. इस दौरान सबसे पहले कुत्तों को तिलक लगाया जाता है, फूलों की माला पहनाई जाती है और उन्हें खास खाना और मिठाइयां खिलाई जाती हैं. इसके बाद इस दिन लोग सड़क पर भटकने वाले कुत्तों को भी खाना देते हैं. साथ ही लोग कुत्तों से आशीर्वाद लेते हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करते हैं.
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