घने कोहरे के कारण क्यों होती हैं फ्लाइट्स डिले या कैंसिल? इस कारण पायलट नहीं करते हैं टेक ऑफ
राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में कड़ाके की ठंड के साथ घना कोहरा हो रहा है. क्या आप जानते हैं कि कोहरा होने पर फ्लाइट्स कैंसिल या डिले क्यों होती हैं? आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे.
राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ी रही है. ठंड के साथ ही घना कोहरा भी हो रहा है, जिससे विजिबिलिटी एक दम शून्य हो जा रही है. जिसका असर ट्रेन, फ्लाइट और सड़क पर चलने वाली गाड़ियों पर पड़ रहा है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि घने कोहरे के कारण फ्लाइट डिले या कैंसिल क्यों होती हैं. आज हम आपको इसके पीछे की वजह बताएंगे. 0
तापमान में गिरावट
नए साल 2025 की शुरूआत के साथ ही कई राज्यों में तापमान में तेजी से गिरावट देखने को मिली है. जिसके कारण ठंड अचानक से बढ़ी है. दिल्ली,हरियाणा, उत्तर-प्रदेश, उत्तराखंड समेत कई राज्यों में ठंड बढ़ने के साथ शीतलहर भी बढ़ी है. सड़कों पर दिन के समय अंधेरे जैसा लग रहा है और विजिबिलिटी एक दम जीरो हो गई है. विजिबिलिटी कम होने के कारण हर किसी रफ्तार भी धीमे हो गई है. लेकिन आज हम आपको ये बताएंगे कि विजिबिलिटी कम होने के कारण फ्लाइट्स कैंसिल क्यों होती है.
फ्लाइट विजिबिलिटी के कारण होती हैं कैंसिल?
बता दें कि सभी फ्लाइट्स को पायलट नक्शे और एयर ट्रैफिक कंट्रोल के संकेतों के माध्यम से दिशा और गति को नियंत्रित करते हैं. वहीं जब घना कोहरा छाता है, तो उससे विजिबिलिटी लगभग कम हो जाती है. कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक कोहरा होने के कारण एयरपोर्ट पर 600 मीटर तक विजिबिलिटी कम हो जाती है. जिस कारण फ्लाइट्स का सुरक्षित संचालन करना मुश्किल होता है. एक्सपर्ट के मुताबिक कोहरे के दौरान उड़ान का सबसे मुश्किल हिस्सा टेक ऑफ या लैंडिंग नहीं बल्कि फ्लाइट को रनवे पर टैक्सीइंग कराना होता है. यही कारण है कि कोहरा के कारण फ्लाइट्स डिले होते हैं, क्योंकि रनवे पर उसे संचालित करना मुश्किल होता है.
टेकऑफ करना मुश्किल काम
जब कोई विमान सफलतापूर्वक रनवे पर पहुंच जाता है, उसके बाद पायलट को न्यूनतम विजिबिलिटी चाहिए होती है, जिससे वो रनवे के प्वाइंट्स को देख सके. वहीं विमान जब रनवे पर सभी बिंदुओं पर न्यूनतम विजिबिलिटी के मानदंड को पूरा कर लेता है, तो वो टेक ऑफ कर सकता है.
लैंडिंग के लिए भी विजिबिलिटी जरूरी
पायलटों के लिए लैंडिंग करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहता है. क्योंकि लैंडिंग के समय फ्लाइटस की स्पीड 800 से 900 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है. फ्लाइट डैक फ्रंड के अनुसार मैनुअल लैंडिंग के लिए आवश्यक न्यूनतम विजिबिलिटी 550 मीटर होती है. यही कारण है कि जब विजिबिलिटी शून्य होती है, तो उस स्थिति में फ्लाइट्स काफी डिले होती हैं और कई बार कैंसिल भी होती हैं.
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