अब तक हम समझते थे कि ज्वालामुखी विस्फोट के कारण वातावरण में गर्मी बढ़ती है. लेकिन नासा के नए शोध के अनुसार...इस तरह के विस्फोट से हिमयुग के आने का खतरा बढ़ जाता है. चलिए आज के आर्टिकल में आपको बताते हैं कि आखिर नासा समेत दुनियाभर के वैज्ञानिक ऐसा क्यों कह रहे हैं कि आने वाले समय में बड़े ज्वालामुखी विस्फोटों की वजह से धरती पर हिमयुग का खतरा बढ़ जाएगा.
ग्रीनहाउस गैस के कारण
अगर किसी ज्वालामुखी में विस्फोट होता है तो कार्बन डाईऑक्साइड जैसी ग्रीनहाउस गैस उसके अंदर से निकलती है. इन गैसों को धरती के तापमान में वृद्धि के लिए जाना जाता है. हालांकि, वैज्ञानिक मानते हैं कि अगर किसी बहुत ज्यादा बड़े ज्वालामुखी में विस्फोट होता है तो इससे धरती का तापमान कम हो जाता है. अब सवाल उठता है कि अगर ज्वालामुखी में विस्फोट होता है और जमीन के अंदर से धधकता लावा और ग्रीनहाउस गैसें निकलती हैं तो उससे धरती का तापमान बढ़ेगा. तो फिर ऐसा विस्फोट के समय और क्या होगा जिसेस धरती ठंडी होने लगेगी.
क्या कह रहा है नासा?
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा की ग्लोबल क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट के अनुसार, जब किसी बड़े ज्वालामुखी में विस्फोट होता है तो जमीन के अंदर से लावा और ग्रीनहाउस गैसें तो निकलती ही हैं. लेकिन इसके साथ आसमान में ढेर सारे राख के कण भी इकट्ठा हो जाते हैं. यही कण और कुछ गैसें सूरज की रौशनी को धरती पर पहुंचने में रुकावट पैदा करती हैं. इसी वजह से धरती का तापमान गिरने लगता है. अगर ज्वालामुखी बहुत बड़ा हुआ या फिर एक साथ कई ज्वालामुखियों में विस्फोट हो गया तो पूरी धरती का तापमान तेजी से गिरने लगेगा और धरती हिमयुग की तरफ बढ़ने लगेगी.
इसे कहते हैं ग्लोबल कूलिंग
विज्ञान की भाषा में इसे ग्लोबल कूलिंग कहते हैं. अगर ये ज्यादा हो जाए तो पृथ्वी के लिए खतरा बन जाती है. नासा के गोडार्ड इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस स्टडीज और न्यूयॉर्क की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के नए शोध में इस पर काफी अध्ययन किया गया है. हालांकि, इन शोधों के बाद भी वैज्ञानिक फिलहाल बड़े ज्वालामुखी विस्फोटों के बाद होने वाले बदलावों पर सटीक जानकारी नहीं जुटा पाए हैं. लेकिन ये तय है कि अगर विस्फोट ज्यादा बड़े हुए तो ग्लोबल कूलिंग बढ़ जाएगी.
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