जहां भारत बढ़ती जनसंख्या से परेशान है, वहीं दुनियाभर में कई देश ऐसे हैं जो घटती जनसंख्या का सामना कर रहे हैं. यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की एक हालिया रिपोर्ट से पता चला है कि साल 2023 में अमेरिका की प्रजनन दर में 2 प्रतिशत की गिरावट आई है. कोविड-19 के समय प्रजनन दर में वृद्धि को छोड़ दिया जाए तो साल 1971 के बाद से अमेरिका में लगातार प्रजनन दर में गिरावट आ रही है.


हालांकि अमेरिका ही ऐसा देश नहीं है जो घटती जनसंख्या से परेशान है, दुनियाभर के कई देश ऐसे हैं जहां सरकार जनसंख्या को बढ़ाने और लोगों को बच्चे पैदा करने के लिए तरह-तरह के उपायों से लुभा रही है. ऐसे में सवाल ये उठता है कि आखिर दुनियाभर में लोग बच्चे पैदा करने से क्यों डर रहे हैं? चलिए जानते हैं.


कौन से देश घटती जनसंख्या से परेशान?


दुनियाभर में विकसित देशों में जनसंख्या तेजी से घट रही है. कई देश लगातार घटती जनसंख्या से परेशान हैं.


जापान- जापान इस समस्या का एक प्रमुख उदाहरण है. यहां जनसंख्या में निरंतर गिरावट हो रही है और इसके पीछे का मुख्य कारण है जन्म दर में कमी और बढ़ती उम्र की जनसंख्या. 2023 में जापान की जनसंख्या लगभग 125 मिलियन थी. हालांकि अब यह लगातार घट रही है. जापान सरकार ने इस संकट को समझते हुए "2025 तक जनसंख्या स्थिरता" योजना का कार्यान्वयन किया है, लेकिन परिणाम अभी तक संतोषजनक नहीं हैं. हाल ही में जापान में युवाओं के बीच विवाह और परिवार बनाने की प्रवृत्ति में गिरावट आई है, जिससे जनसंख्या में कमी आ रही है. इससे सामाजिक सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी दबाव बढ़ रहा है.


इटली- इटली भी घटती जनसंख्या से परेशान है. 2022 में यहां जन्म दर 1.24 प्रति महिला के स्तर पर पहुंच गई, जो यूरोपीय संघ में सबसे कम है. युवा पीढ़ी शादी और बच्चों की परवरिश को प्राथमिकता नहीं दे रही है, जिसका परिणाम देश की जनसंख्या में गिरावट के रूप में सामने आ रहा है. इटली की सरकार ने परिवारों को प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन सांस्कृतिक बदलाव इस प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं. हाल ही में एक अध्ययन में बताया गया कि इटली में 40% युवा दंपत्ति बिना बच्चों के जीवन जीने को प्राथमिकता दे रहे हैं.


रूस- रूस भी घटती जनसंख्या से जूझ रहा है. साल 2023 में रूस ने रिपोर्ट किया कि देश की जन्म दर में कमी आई है, जिससे देश की जनसंख्या लगभग 146 मिलियन से घटकर 145 मिलियन के आसपास पहुंच गई है. यह स्थिति युद्ध, आर्थिक संकट और सामाजिक समस्याओं के कारण और भी गंभीर हो गई है. रूसी सरकार ने जनसंख्या वृद्धि के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं, लेकिन परिणाम सीमित रहे हैं. हालिया रिपोर्टों के अनुसार, युद्ध और पलायन के कारण युवा जनसंख्या तेजी से कम हो रही है.


जर्मनी- जर्मनी में भी घटती जनसंख्या की समस्या देखी जा रही है. यहां की जन्म दर 1.53 प्रति महिला है, जो कि सामान्य स्तर से कम है. बुजुर्गों की बढ़ती संख्या और युवाओं का अन्य देशों में प्रवास इस समस्या को और बढ़ा रहा है. हाल ही में जर्मन सरकार ने प्रवासियों को आकर्षित करने के लिए नीतियां बनाई हैं. 2023 में जर्मनी ने अपने प्रवासी कार्यक्रम को मजबूत किया है ताकि वो आवश्यक श्रम शक्ति को पूरा कर सकें.


पोलैंड और स्पेन- पोलैंड और स्पेन भी इस समस्या से प्रभावित हैं. पोलैंड में जन्म दर 1.38 प्रति महिला है और यहां भी युवाओं के बीच परिवार बनाने की प्रवृत्ति में कमी आई है. स्पेन में भी यह स्थिति चिंताजनक है, जहां जन्म दर 1.23 तक पहुंच गई है. इन देशों में सरकारें आर्थिक प्रोत्साहन देने के लिए योजनाएं बना रही हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस परिणाम देखने को नहीं मिले हैं.


इसके अलावा विश्व के अन्य देशों जैसे जापान और इटली भी घटती जनसंख्या का सामना कर रहे हैं. जो इन देशों के लिए काफी चिंताजनक स्थिति है.


यह भी पढ़ें: स्पेस में आग तो जल नहीं पाती, क्या हमेशा ठंडा खाना ही खाती हैं सुनीता विलियम्स?


बच्चे पैदा करने से क्यों डर रहे लोग?


पिछले कुछ दशकों में परिवार की परिभाषा में काफी बदलाव आया है. युवा पीढ़ी अब ज्यादा स्वतंत्रता और करियर को प्राथमिकता दे रही है. एक हालिया सर्वेक्षण के अनुसार, 2023 में लगभग 60% युवा दंपत्ति बच्चे नहीं पैदा करने का फैसला कर रहे हैं. उनके अनुसार, इसके पीछे शिक्षा, करियर और वित्तीय सुरक्षा का प्रमुख योगदान है.


बढ़ती महंगाई और आर्थिक दबाव


मौजूदा समय में आर्थिक स्थितियों ने भी बच्चे पैदा करने की सोच पर प्रभाव डाला है. महंगाई, आवास की कीमतों में वृद्धि और शिक्षा के खर्चों में बढ़ोतरी ने कई परिवारों को बच्चों के बारे में सोचने पर मजबूर किया है. एक रिपोर्ट में सामने आया है कि 2022 में कई देशों में बच्चे की परवरिश पर औसतन 20 लाख रुपये से ज्यादा खर्च होते हैं. इस वित्तीय बोझ के कारण कई दंपत्तियों ने बच्चे न पैदा करने का फैसला किया है.


दुनिया में लगातार बदलते हालात भी दंपतियों को बच्चे पैदा करने से पहले सोचने पर मजबूर कर रहे हैं. एक सर्वेक्षण के अनुसार, 45% युवा माता-पिता बनने से डर रहे हैं, क्योंकि वे अपने बच्चों के भविष्य के बारे में चिंतित हैं. ऐसे में कई दंपत्ति वैकल्पिक तरीके जैसे कि गोद लेने पर विचार कर रहे हैं. वहीं आंक़ड़े बताते हैं कि अमीर देशों में या तो महिलाएं कम बच्चे पैदा कर रही हैं या फिर बिल्कुल नहीं.  गौरतलब है कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में वर्तमान प्रजनन दर 1.6 है. ब्रिटेन में यह 1.4 है, वहीं दक्षिण कोरिया में यह 0.68 है.                       


यह भी पढ़ें: नाम के पीछे 'मुल्ला' क्यों लगाते हैं कई मुसलमान? आप नहीं जानते होंगे कारण