ट्रेन में नीले और लाल रंग के क्यों होते हैं कोच, जानिए ICF और LHB कोच में अंतर
भारतीय रेलवे की ट्रेनों में आईसीएफ और एलएचबी कोच होते हैं. नीले रंग के डिब्बे आईसीएफ कोच की पहचान होते हैं, वहीं एलएचबी कोच लाल रंग के होते हैं. आइये जानते हैं इन दोनों कोच में क्या अंतर है?
भारतीय रेलवे दुनिया में चौथा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है. इन ट्रेनों से हर दिन करोड़ों लोग सफर करते हैं. इन ट्रेनों में आपने अक्सर देखा होगा कि ज्यादातर नीले और लाल रंग के डिब्बे लगे होते हैं. कुछ सवारी गाड़ियों समेत एक्सप्रेस ट्रेनों में कोच ज्यादातर नीले कलर के लगे होते हैं लेकिन राजधानी और सुपरफास्ट समेत प्रीमियम क्लास की ट्रेनों में लाल रंग के कोच होते हैं. आज हम आपको इन रंगों का कारण बताएंगे.
क्या होते हैं ICF और LHB कोच?
भारत में रोजाना करोड़ों लोग ट्रेनों से सफर करते हैं. इसलिए भारतीय रेलवे समय आने पर ट्रेन के डिब्बों को यात्री सेवाओं से हटा देता है और उनके स्थान पर नए कोच लगाए जाते हैं. भारतीय रेलवे में 2 तरह के कोच सेवाएं दे रहे हैं. ये ICF (Integral Coach Factory) और LHB (Linke Hofmann Busch) हैं.
क्या है LHB कोच
बता दें कि ICF कोच की तुलना में LHB कोच ज्यादा बेहतर एवं सुरक्षित होते हैं. एलएचबी कोच एंटीटेलीस्कोपिक डिजाइन के तहत तैयार किए गए हैं, जिसका मतलब है कि वे एक-दूसरे से टकराते नहीं हैं और आसानी से नहीं गिरते हैं. एलएचबी कोच स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं, जो दुर्घटना होने की स्थिति में ठोकर सहने की क्षमता को बढ़ा देते हैं. इसके अलावा यह उन्हें हल्का भी बनाता है और वहन क्षमता बढ़ाता है. इसके अलावा एलएचबी कोचों में कपलिंग सिस्टम दो कोचों के बीच सापेक्ष गति को कम करता है और दुर्घटना की स्थिति में एक कोच को दूसरे कोच पर चढ़ने से रोकता है. एलएचबी कोच की औसत गति 160 किमी प्रति घंटे और शीर्ष गति 200 किमी प्रति घंटा है.
ICF कोच
इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) की फैक्ट्री चेन्नई, तमिलनाडु में स्थित है.बता दें कि इसकी स्थापना सन् 1952 में हुई थी. ये कोच लोहे के बने होते हैं, इस वजह से भारी होते हैं. वहीं इसमें एयर ब्रेक का प्रयोग होता है. इसके अलावा इसके रखरखाव में भी रेलवे का ज़्यादा खर्चा होता है. इसमें बैठने की बात करे तो इसकी क्षमता कम होती है. स्पीलर में कुल सीट 72 और थर्ड एसी में 64 होती है. इसके अलावा ये कोच LHB कोच से 1.7 meters छोटे होते हैं. खासकर दुर्घटना के बाद इसके डिब्बे एक के ऊपर एक चढ़ जाते हैं, क्योंकि इसमें Dual Buffer सिस्टम होता है. ICF कोच को 18 महीनों में एक बार आवधिक ओवरहाल की भी आवश्यकता होती है. इसकी औसत गति 70 किमी प्रति घंटा और शीर्ष गति 140 किमी प्रति घंटा होती है.
कोच के इस्तेमाल की अवधि
आईसीएफ कोच स्टील से बने होते हैं और उनकी कोडल लाइफ 25 वर्ष होती है, इसलिए इस अवधि तक इनका उपयोग यात्री बोगी के तौर पर किया जाता. इसके बाद इन्हें सेवा से हटा दिया जाता है. वहीं एलएचबी कोच स्टेनलेस स्टील से बने होते हैं और इनकी कोडल लाइफ 30 वर्ष होती है.
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