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प्लास्टिक के कुछ कपों पर क्यों बनीं होती हैं लाइनें? समझिए क्या होता है इनका काम

लोगों को लगता है कि ये लाइनें शराब, बीयर या अन्य पेय पदार्थों को मापने के लिए बनी होती हैं. वहीं, कुछ कहते हैं कि इन्हे ग्लास पर उंगलियों की पकड़ को मजबूत रखने के लिए बनाया जाता है. लेकिन सच क्या है?

Lines On Plastic Solo Cups: प्लास्टिक के कप काफी उपयोगी होते हैं, और इनका इस्तेमाल कई स्थानों पर किया जा सकता है, लेकिन ये आमतौर पर पार्टियों में ही देखे जाते हैं. इन कप्स से जुड़ा एक रहस्यमय तथ्य है, जो शायद आपको पता नहीं होगा. आपने शायद प्लास्टिक कप के ऊपर की रेखाएं (कप पर बनी लाइनें) देखी होंगी. क्या कभी सोचा है कि इन रेखाओं के बनने का कारण क्या हो सकता है? आइए जानते हैं प्लास्टिक के कप पर ये लाइनें क्यों बनीं होती हैं.

ट्विटर पर भी वायरल है 

इन दिनों ट्विटर पर भी इसको लेकर यूजर्स में बेहद छिड़ी हुई है. ट्विटर पर एक पोस्ट वायरल हो रही है, जिसमें लाल रंग के प्लास्टिक कप, जिन्हे सोलो कप भी कहा जाता है, पर लाइनें बनाने का कारण बताया जा रहा है. इसमें बताया गया है कि सोलो कप्स (प्लास्टिक कप्स) के ऊपर बनी रेखाएं वास्तव में पदार्थों को मापने के लिए इस्तेमाल होती हैं. सबसे नीचे वाली रेखा 1 औंस को दर्शाती है. इस रेखा तक लिकर (शराब) भरी जाती है. उसके बाद वाली रेखा 5 औंस को दर्शाती है. इस पॉइंट तक वाइन भरी जाती है. इसके ऊपर वाली रेखा 12 औंस को दर्शाती है और उस रेखा तक बीयर भरी जाती है. बीयर को अधिकतम स्तर तक नहीं भरने का कारण यह है कि जब इसे ग्लास में डाला जाता है, तो उसमें झाग बनता है जो उपर की ओर जाता है. 

लोगों ने क्या कहा?

यूजर्स के इसको लेकर अलग-अलग मत हैं. कोई कह रहा है कि सबसे ऊपर वाली रेखा पानी के लिए होती है ताकि व्यक्ति हाइड्रेटेड रहे. एक व्यक्ति ने कहा कि सबसे ऊपर वाली रेखा तक वह रम भरकर पीता है. हालांकि, कई लोगों को लगता है कि इस कप पर रेखाएं कुछ और कारण के लिए होती हैं और मापन के लिए नहीं. कुछ लोगों का कहना है कि लोगों का कहना है कि इन रेखाओं को पकड़ बनाने के लिए बनाया गया है. आइए आज जानते हैं कि असलियत क्या है.

कप पर किसलिए होती हैं लाइनें?

वॉशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, आज जब आप इन कप्स को बची हुई बीयर से आधा भरा हुआ या पिछली रात की पार्टियों से कुचले हुए पाते हैं और केवल एक सस्ते, डिस्पोजेबल पेय धारक के रूप में देखते हैं, वह रॉबर्ट हल्समैन जैसे लोगों की सावधानीपूर्वक, सुंदर इंजीनियरिंग का परिणाम है. अपने करियर की शुरुआत में, हल्समैन ने अपने पिता को सोलो कप कंपनी चलाने में मदद की. ध्यान रहे! यहां लाल वाले सोलो कप की बात हो रही है.

प्लास्टिक के कप्स का आविष्कार किसने किया?

कंपनी ने शुरुआती कई दशक कागज से डिस्पोजेबल कप बनाने में बिताए. कंपनी के ऐतिहासिक तथ्य पत्र के अनुसार, पहला सोलो कप एक पेपर कोन था जो 1940 के दशक में शुरू हुआ था. हालांकि, हल्समैन बाद में 1980 के दशक में कम्पनी के मुख्य कार्यकारी बने, लेकिन उन्होंने 1970 के दशक में ही प्लास्टिक के कप विकसित करने में अहम भूमिका निभाई, जिसे आज हममें से कई लोग आउटडोर या इंडोर पार्टीज के लिए पसंद करते हैं.

पहले नहीं हुआ करती थीं ये लाइनें

सोलो कप के आविष्कार से पहले पूरे ढेर से एक डिस्पोजेबल कप को निकालना अक्सर मुश्किल होता था, क्योंकि वे कभी-कभी एक साथ चिपक जाते थे. कंपनी के पेटेंट के अनुसार, सोलो कप की विशेषताओं में से एक, कप का घुमावदार होंठ था. जब कई कप एक साथ रखे जाते थे तो कप एक-दूसरे में बहुत कसकर डूबने से बच जाते थे.

इसलिए बनाई गई थीं 

रिपोर्ट के मुताबिक, अक्सर गलत तरीके से कहा जाता है कि कुछ सोलो कपों पर पाई जाने वाली लाइनें जानबूझकर बीयर, वाइन और शराब जैसे विभिन्न प्रकार के पेय पदार्थों को मापने के लिए बनाई जाती हैं. लेकिन सोलो कप कंपनी की मूल कंपनी, डार्ट कंटेनर कॉर्प ने इस दावे को खारिज कर दिया. कंपनी के मुताबिक, ये लाइनें "कार्यात्मक प्रदर्शन" को बढ़ाने और आपकी उंगलियों को फिसलने से बचाने में मदद करने के लिए हैं.

यह भी पढ़ें - भारत में सु-सु का मतलब तो आप जानते हैं... दूसरे देशों में इसका मतलब कुछ और ही है! जानिए

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