(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
हमें अंधेरे से डर क्यों लगता है? जानिए क्या कहते हैं इस पर हुए वैज्ञानिक रिसर्च
कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने साल 2012 में इस पर एक दिलचस्प रिसर्च किया. इस रिसर्च में जो बात निकल कर सामने आई, वह हैरान कर देगी.
बचपन में शायद ही ऐसा कोई रहा होगा जिसे अंधेरे से डर न लगता हो. कुछ लोग तो बड़े होने पर भी अंधेरे में जाने पर हिचकिचाते हैं. हमें मालूम होता है कि यह हमारे ही घर का कमरा है और इसमें ऐसी कोई चीज नहीं है जो हमारे लिए खतरनाक है. इसके बावजूद भी हमें अंधेरे में वहां जाने पर अजीब सा लगता है, हमारे मन में कई भावनाएं उत्पन्न होने लगती हैं और हमें कुछ ऐसी चीजों का आभास होने लगता है, जिसके अस्तित्व पर भी कई सवाल खड़े होते हैं. हमें लगता था कि ऐसा शायद इसलिए होता है क्योंकि बचपन से ही हमें कहानियां सुनाई गई थीं कि अंधेरे में भूत होते हैं या फिर सभी खतरनाक चीजें अंधेरे में ही निकलती हैं. लेकिन क्या सचमुच ऐसा है. आज इस आर्टिकल में हम यही जानेंगे कि आखिरकार अंधेरे से डरने पर हुए वैज्ञानिक रिसर्च क्या कहते हैं.
क्या कहते हैं इस पर हुए रिसर्च
कनाडा के टोरंटो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने साल 2012 में इस पर एक दिलचस्प रिसर्च किया. इस रिसर्च में जो बात निकल कर सामने आई, वह हैरान कर देगी. रिसर्च में पाया गया कि अंधेरे में इंसानों में सतर्क होने की भावना शुरू से पनपती रही है. सबसे बड़ी बात कि अंधेरे से डरना असल में किसी अज्ञात चीज का डर है. यानी इंसान डरता है कि अंधेरे में उसे कुछ ऐसी चीज मिल जाएगी या दिख जाएगी जिसके बारे में वह कुछ नहीं जानता है. अंधेरे में जाते ही इंसानी दिमाग तरह-तरह की कल्पनाएं करने लगता है और वह सबसे खराब कल्पना को ही अपने दिमाग में भरता है, जिसकी वजह से हमें डर लगता है.
इतिहास से जुड़ा है डर
इंसान आज इतना सक्षम हो गया है कि वह दुनिया का सबसे खतरनाक और शक्तिशाली शिकारी बन गया है. लेकिन सदियों पहले ऐसा नहीं था. उस वक्त इंसानों के पास ऐसी कोई चीज नहीं थी जो उन्हें रात में जानवरों से बचा सके. ना तो हमारे पास बेहतर सुनने की क्षमता थी, ना हम रात में देख सकते थे और ना ही हमारे अंदर सूंघने की क्षमता थी. यही वजह है कि रात के अंधेरे में कई बार इंसान जंगली जानवरों का शिकार बन जाते थे. इसी को देखते हुए पीढ़ी दर पीढ़ी इंसानों में यह डर पहुंचाया गया कि रात में घर से बाहर या फिर गांव से बाहर नहीं निकलना है. या ऐसी जगह नहीं जाना है जहां अंधेरा हो. बच्चों में भी यही डर बचपन में बैठा दिया जाता है, जब उन्हें कहानी के माध्यम से बता दिया जाता है कि अंधेरे में कुछ ऐसी चीजें हैं जो उन्हें नुकसान पहुंचा सकती हैं.
काला रंग और डर
अंधेरे का काला रंग, डर का सबसे बड़ा कारण है. काले रंग को समाज में कभी भी अच्छा नहीं माना गया. यही वजह है कि जब भी किसी गलत चीज को देखना होता है तो उससे काले रंग को जोड़ दिया जाता है. चाहे वह काली दुनिया हो, काला जादू हो या फिर कई धर्मों में मातम में पहने जाने वाले काले कपड़े. इन सभी में डर है. और यहां काला रंग भी है. यही वजह है कि इंसान आज भी अंधेरे में जाने से डरता है. हालांकि अब धीरे-धीरे लोगों की धारणाएं बदल रही हैं और बच्चों को भी अब इस तरह की कहानियां नहीं सुनाई जाती, ताकि उनके मन में किसी तरह का डर ना बैठे.
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