क्या स्पेस से लौटने के बाद सुनीता विलियम्स भी हो जाएंगी लंबी? अंतरिक्ष में क्यों बढ़ जाती है एस्ट्रोनॉट्स की हाइट
सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतने महीने स्पेस में बिताने के बाद उन्हें पृथ्वी पर किन तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा.

Astronaut Sunita Williams News: अंतरिक्ष में करीब 8 महीने से बिताने के बाद एस्ट्रोनॉट सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर की वापसी की तारीख मुकर्रर हो गई है. ताजा जानकारी के अनुसार, इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के लिए नया मिशन Crew-10 अगले महीने 12 मार्च को लॉन्च होगा. यह वही मिशन है, जो सुनीता विलियम्स की वापसी भी सुनिश्चित करेगा. नए क्रू के पहुंचने के बाद सुनीता विलियम्य नए कमांडर को ISS का चार्ज हैंडओवर करेंगी. इसके बाद वह स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगल कैप्सूल में सवार होकर पृथ्वी के लिए रवाना होंगी. उनकी वापसी 19 मार्च को हो सकती है.
सुनीता विलियम्स और उनके साथी बुच विल्मोर को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतने महीने स्पेस में बिताने के बाद उन्हें पृथ्वी पर किन तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. कहा जा रहा है कि उनमें कई शारीरिक बदलाव होंगे, जिसमें हाइट बढ़ना भी शामिल है. आइए जानते हैं कि स्पेस में रहने के दौरान एस्ट्रोनॉट्स की हाइट क्यों बढ़ जाती है?
ग्रैविटी का पड़ता है हड्डियों पर असर
बता दें, स्पेस में ग्रैविटी शून्य है. आपने अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन में इधर-उधर उड़ते हुए देखा ही होगा. इसका कारण वहां ग्रैविटी का न होना है. ग्रैविटी न होने के कारण इसका असर अंतरिक्ष यात्रियों पर पड़ता है और उनकी हड्डियां दबाव न पड़ने की वजह से लूज हो जाती हैं. जब कोई अंतरिक्ष यात्री स्पेस में ज्यादा समय बिता लेता है तो उसकी रीढ़ की हड्डी लूज हो जाती है, यानी फैल जाती है. इससे अंतरिक्ष यात्रियों की हाइट 2 से 3 इंच तक बढ़ जाती है. हालांकि, यह बदलाव अस्थाई होती है. पृथ्वी पर लौटने के बाद कुछ महीनों में हाइट सामान्य हो जाती है.
हो सकती हैं ये समस्याएं
अंतरिक्ष से लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को और भी कई समस्याएं होती हैं. उनका इम्यून सिस्टम काफी कमजोर हो जाता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. वहीं अंतरिक्ष में होने वाला रेडिएशन भी उनके डीएनए में कई तरह के बदलाव कर सकता है. इसके अलावा अंतरिक्ष यात्री स्पेस एनीमिया के भी शिकार हो सकते हैं. यही कारण है कि स्पेस से लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को काफी लंबे समय तक डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाता है.
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