अमेरिका जैसे बड़े देशों से क्यों दूरी बनाए रखता है भूटान? जान लीजिए वजह
जहां दुनिया के कई देशों पर अमेरिका या फिर रूस का प्रभाव है, ऐसे में भूटान ने खुद को इन बड़े देशों से किस तरह दूर रखा, आइए जानते हैं ऐसा क्यों है?
हिमालय की पहाड़ियों में बसा भूटान तीन ओर से भारत के लगा हुआ है. इसके ऊपर है चीन. एशिया की दो महाशक्तियों के बीच बसा भूटान एक संवैधानिक राजशाही शासन वाला देश है. यूं तो भूटान किसी भी राजनीतिक मामलों से खुद को दूर ही रखता है, लेकिन भारत लंबे समय से इस छोटे से देश के लिए बड़े भाई की भूमिका निभाता आ रहा है. यहां तक कि भूटान की विदेश, रक्षा और वित्तीय नीतियों पर भी भारत का ही प्रभाव रहा है.
भारत और चीन के बीच बसे होने के कारण अमेरिका जैसी महाशक्ति देशों की भी भूटान पर पैनी नजर रहती है. हालांकि, बड़ा सवाल यह है कि जहां दुनिया के कई देशों पर अमेरिका या फिर रूस का प्रभाव है, ऐसे में भूटान ने खुद को इन बड़े देशों से किस तरह दूर रखा? और भारत का भूटान पर इतना प्रभाव कैसे है...
भारत के साथ रहे हैं दोस्ताना संबंध
भूटान हमेशा से भारत का पक्षधर रहा है. दोनों देश करीब 605 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं, जहां तक भारत और भूटान के दोस्ताना संबंधों की बात है, तो यह 1949 में दोनों देशों बीच हुई एक संधि में छिपा हुआ है. भारत की आजादी के बाद भूटान के साथ एक संधि हुई थी. इसके तहत भारत भूटान के आंतरिक मामलों में कभी भी हस्तक्षेप नहीं करेगा, लेकिन यहां की विदेश नीति पर हमेशा दिल्ली का ही प्रभाव रहेगा. दरअसल, भूटान वह देश है जो भारत को सुरक्षा की दृष्टि से रणनीतिक बढ़त दिला सकता है. इसका कारण यह है कि भूटान की आबादी कम है, किन उसके पास काफी क्षेत्रफल है.
बड़े देशों से हमेशा रही दूरी
भूटान दुनिया का एकमात्र वह देश है, जो हमेशा से अलग-थलग ही रहा. यूएस डिपार्टमेंट आफ स्टेट के मुताबिक, भूटान 1971 में यूनाइटेड नेशन का सदस्य बना था, लेकिन इस देश के किसी भी देश के साथ डिप्लोमेटिक रिलेशन नहीं रहे हैं. दरअसल, भूटान ने अपनी संस्कृति को बचाए रखने के लिए सदियों तक विश्व के किसी भी देश से दूरी बनाए रखी और उनके साथ कूटनीतक संबंध नहीं बनाए. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भूटान ने 1970 में पहली बार किसी विदेशी पर्यटक को अपने यहां आने की इजाजत दी थी, इतना ही नहीं यहां इंटरनेट और टेलीवीजन की इजाजत भी 1999 में दी गई थी. अपनी संस्कृति को बचाए रखने के लिए यहां की सरकार पर्यटकों की संख्या को सीमित ही रखती है.
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