Justice Yashwant Verma Cash Case: कैश मामले में जस्टिस वर्मा को गिरफ्तार क्यों नहीं कर सकती है पुलिस? ये है नियम
Justice Yashwant Verma Cash Case: जस्टिस यशवंत वर्मा के मामले में जांच तेज हो चुकी है. लेकिन पुलिस उनको ऐसे गिरफ्तार नहीं सकती है. दरअसल जजों की गिरफ्तारी के लिए नियम है, जिसे फॉलो करना होता है.

Justice Yashwant Verma Cash Case: दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस वर्मा का केस इस वक्त गरमाया हुआ है. उनके घर से भारी मात्रा में अधजली नगदी बरामद हुई है. सीजेआई के सामने मामला आने के बाद जज पर जांच तेज हो गई है और बीते दिन तुगलक क्रिसेंट रोड स्थित उनके सरकारी आवास पर दिल्ली पुलिस पहुंची थी. जिले के डीसीपी देवेश महला के साथ तुगलक रोड के एसीपी वीरेंद्र जैन और साथ में सुप्रीम कोर्ट के दो-तीन कर्मचारी भी थे. ऐसे में यह सवाल तो लोगों के मन में उठ रहा होगा कि आखिर एक आम आदमी की तरह जस्टिस वर्मा को भी अभी तक पुलिस ने गिरफ्तार क्यों नहीं किया. चलिए आज इसकी वजह बताते हैं.
जस्टिस वर्मा को क्यों गिरफ्तार नहीं कर सकती पुलिस
भारत में जजों को कई मायनों में विशेष अधिकार प्राप्त होता है जैसे कि पुलिस जज के घर पर सीधा छापेमारी नहीं कर सकती है. बिना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के पुलिस जज को रोक नहीं सकती और उनकी गाड़ी की छानबीन नहीं कर सकती है. सामान्यत: जज को पुलिस गिरफ्तार नही कर सकती है, लेकिन कुछ विशेष परिस्थितियों में, जैसे कि यदि जज ने गंभीर अपराध किया है, तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है, लेकिन इसके लिए उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय की अनुमति आवश्यक होती है.
क्या है जज की गिरफ्तारी की प्रक्रिया
- यदि जज को गिरफ्तार किया जाना है, तो पुलिस को पहले उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय से अनुमति लेनी होगी.
- गिरफ्तारी के दौरान, जज को उचित कानूनी प्रक्रिया के तहत सभी अधिकार दिए जाते हैं.
- गिरफ्तारी के बाद, जज को जल्द से जल्द अदालत में पेश किया जाता है.
विशेष प्रावधान
- यदि जज गिरफ्तारी का विरोध करता है या हिंसा करता है, तो पुलिस को उसे बलपूर्वक गिरफ्तार करने और हथकड़ी लगाने का अधिकार है.
- गिरफ्तारी के बाद जज को अपने परिवार के सदस्यों, वकीलों और संबंधित जिला एवं सत्र न्यायाधीश को सूचित करने का अधिकार है.
- गिरफ्तारी के दौरान जज के खिलाफ कोई भी बयान दर्ज नहीं किया जाएगा, न ही कोई पंचनामा तैयार किया जाएगा और न ही उनके वकीलों/कानूनी सलाहकारों या किसी अन्य समान या उच्च रैंक वाले न्यायिक अधिकारी (यदि उपलब्ध हो) की उपस्थिति के बिना कोई मेडिकल परीक्षण किया जाएगा.
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