कहा जा रहा है इस बार दिल्ली में कड़ाके की सर्दी पड़ने वाली है. कहा जा रहा है इस बार अल नीनो का असर रहेगा और सर्दी का सितम ज्यादा रहेगा. वहीं बात देश की राजधानी दिल्ली की हो, तो वहां की सर्दी झेलना हर किसी के बस की बात नहीं होती, लेकिन फिर भी आश्चर्य की बात ये है कि दिल्ली में कभी बर्फबारी नहीं हो सकती. ये हम नहीं कह रहे बल्कि वैज्ञानिकों का मानना है. तो चलिए जानते हैं कि आखिर ऐसा होता क्यों है.


दिल्ली में क्यों नहीं हो सकती बर्फबारी?


मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक, मैदानी इलाकों में बर्फ गिरने की संभावना नहीं हैं. यह जरूर हो सकता है कि तापमान बहुत ज्यादा नीचे जाने से ओस की बूंदें पत्तों और पेड़ों पर कुछ हिस्सों में जम जाएं. इसे पानी जमने की स्थिति कहा जाता है और ये बर्फबारी से बिल्कुल अलग है. मैदानी इलाकों में जमाव की स्थिति दिखना असामान्य नहीं हैं. सर्दियों में ऐसा कई जगहों पर होता है.


खासतौर पर खुले इलाकों में, मौसम एक्सपर्ट के अनुसार, बर्फ के लिए बादलों को बनने की जरूरत है. यदि सर्दियों के दौरान दिल्ली में आसमान में बादल छाए रहते हैं, तो बादल इसके विपरीत होने की बजाय गर्मी को रोक लेते हैं. वहीं एक्सपर्ट कहते हैं कि दिल्ली में कई कारणों से बर्फबारी नहीं हो सकती है. दिल्ली का तापमान ठंडा होने पर भी हिमपात की अनुमति नहीं देता है. गौरतलब है कि दिल्ली एक अत्यंत शुष्क शहर है और जनवरी में सर्दी अपने चरम पर होती है जब हिमालय से बर्फीली हवाएं मैदानी इलाकों में चलती हैं, जिससे तापमान कम हो जाता है. इसका मतलब ये नहीं है कि दिल्ली में बर्फबारी होगी.


समुद्र तल से ऊंचाई


दिल्ली समुद्र तल से लगभग 213 मीटर (700 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है. इस ऊंचाई पर तापमान बर्फ के जमने के लिए पर्याप्त कम नहीं होता. बर्फ गिरने के लिए, आमतौर पर 0 डिग्री सेल्सियस या उससे भी कम तापमान की आवश्यकता होती है. दिल्ली में सर्दियों के मौसम में तापमान कभी-कभी 2 से 5 डिग्री सेल्सियस तक गिरता है, लेकिन आमतौर पर ये तापमान बर्फ बनाने के लिए पर्याप्त नहीं होता.


इसके अलावा दिल्ली की जलवायु में आमतौर पर आर्द्रता का स्तर भी कम होता है. बर्फ गिरने के लिए हवा में पर्याप्त नमी की आवश्यकता होती है. दिल्ली के सूखे मौसम और कम आर्द्रता की वजह से यहां बर्फ बनने की संभावना कम होती है.


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