बर्फ हिमालय पर पड़ती और सर्दी दिल्ली में बढ़ जाती है, आखिर क्यों? क्या कहता है विज्ञान
अगर आप दिल्ली में बैठकर ठंड महसूस कर रहे हैं तो पता करिए कि हिमालय पर दो दिन पहले बर्फ तो नहीं गिरी थी. क्योंकि हवाओं के बहने का एक नियम होता है, चलिए उसे जानते हैं...
आपने कई लोगों को यह कहते हुए सुना होगा कि पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू हो गई, इसका मतलब है ठंड बढ़ने वाली है. अब सोचने वाली बात यह है कि सैकड़ों किलोमीटर दूर हुई बर्फबारी का असर दिल्ली जैसे मैदानी इलाकों तक कैसे होता है? मतलब अगर हिमालयी क्षेत्रों पर बर्फ गिरती है तो इसका असर दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा जैसे मैदानी इलाकों तक क्यों होता है? इसके पीछे का विज्ञान क्या है? चलिए जानते हैं...
हवाओं का होता है खास रोल
हिमालय जैसे पहाड़ी इलाकों से मैदानों तक ठंडक पहुंचाने में हवाओं का बड़ा रोल होता है. भारत के उत्तर में हिमालय चीन और रूस से आने वाली ठंडी हवाओं को तो रोक देता है, लेकिन पश्चिम से आने वाली हवाओं को यह नहीं रोक पाता. ये हवाएं अरब सागर से न होते हुए पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रास्ते भारत पहुंचती हैं, जिससे इनका असर उत्तर भारत में ज्यादा दिखाई पड़ता है. भूमध्य सागर से आने वाली ये हवाएं भारत के मैदानी इलाकों में असर करती हैं. ये हवाएं अपने साथ नमी लिए होती हैं, जिसका असर हिमालय से लेकर भारत के मैदानी इलाकों तक होता है. मैदानी इलाकों में इन हवाओं के आने से बारिश होती है, लेकिन यही हवाएं हिमालय में बर्फबारी कराती हैं, जिससे वहां तापमान काफी गिर जाता है.
हवाओं के बहने का भी होता है नियम
हवाओं के बहने का एक नियम होता है.धरती का जो हिस्सा गर्म होता जाता है, उसकी जगह लेने के लिए ठंडी हवाएं आती हैं. दरअसल, गर्म हवा ठंडी हवा की अपेक्षा हल्की होती है. इसलिए गर्म हवाएं हमेशा ऊपर की ओर उठती है और फैल जाती है. जब ये हवाएं किसी जगह को छोड़ती हैं, तो उसकी जगह लेने के लिए ठंडी हवा आ जाती है. इसी कारण दिसंबर शुरू होते ही मैदानी इलाके ठंड की चपेट में आने लगते हैं. दरअसल, पहाड़ों पर बर्फबारी शुरू होने के बाद वहां का तापमान काफी कम हो जाता है, जिससे हवाएं बहुत ठंडी और घनी हो जाती हैं और गर्म मैदानी इलाकों की तरफ बहना शुरू कर देती हैं.
एक दो दिन में असर दिखाती हैं हवाएं
मान लीजिए कि हिमालय जैसे पहाड़ी इलाकों में अभी-अभी बर्फ पड़ी है, तो क्या इसका असर तुरंत मैदानी इलाकों में दिखना शुरू हो जाता है? ऐसा नहीं है. ठंडी हवाएं गर्म मैदानी इलाकों तक पहुंचने में एक से दो दिन का समय लेती हैं, जिसके बाद मैदानी इलाकों में शीत लहर की शुरुआत होती है.
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