Bathroom Creative Ideas : क्या आपको भी आते हैं बाथरूम में क्रिएटिव आइडियाज? वैज्ञानिकों ने बताई इसके पीछे की वजह
Creative Ideas: आज इस रिपोर्ट में हम वर्जिनिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जैक इरविंग की रिसर्च आधार पर आपको बताने जा रहे हैं कि हमें बाथरूम में क्रिएटिव आइडिया क्यों आते हैं.
Creative Ideas in Bathroom: आपने कई लोगों को कहते सुना होगा कि उन्हें बाथरूम में सबसे ज्यादा क्रिएटिव आइडियाज (Creative Ideas) आते हैं. शायद आपके साथ भी ऐसा होता हो. ऐसे में, मन में सवाल उठता है कि ऐसा क्यों होता है? लम्बे समय से वैज्ञानिक इस टॉपिक पर ही रिसर्च कर रहे हैं और यह जानने की कोशिश में हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है. लंबी रिसर्च के बाद, अब वर्जिनिया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इस सवाल का जवाब ढूंढ भी लिया है. उन्होंने अपनी इस लंबी रिसर्च से समझाया है कि आखिर बाथरूम में लोगो के बिल्कुल अलग तरह के विचार क्यों होते हैं?
बाथरूम में क्रिएटिव विचार (Bathroom Creative Ideas) आने के टॉपिक पर रिसर्च करने वाले वर्जिनिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जैक इरविंग के अनुसार, क्रिएटिव और बिल्कुल अलग तरह के विचार के लिए कंसंट्रेशन काफी जरूरी होता है, लेकिन किसी विषय पर दिमाग का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करना भी उलटे और गलत रिजल्ट दे सकता है. किसी दिक्कत का सॉल्यूशन ढूंढने या कुछ नया और बेहतर सोचने के लिए ब्रेक लेना जरूरी है. ब्रेक ही सबसे पहली शर्त है.
बाथरूम में क्रिएटिव आइडिया आने की वजह
- इरविंग आगे कहते हैं, बाथरूम में नहाते वक्त या दूसरे काम करते समय हमारा दिमाग बिल्कुल शांत मोड में होता है. ऐसे में, शांत दिमाग पर बिना जोर डाले इंसान सोचता है. शांत दिमाग से इंसान अलग-अलग दिशाओं में सोच पाता है, इसलिए बाथरूम में जल्दी समाधान मिलते हैं. जब भी इंसान बिना किसी बाधा के विचार करता है तो सकारात्मक रिजल्ट सामने आते हैं.
- इरविंग की रिसर्च से पहले हुई रिसर्च में वैज्ञानिकों ने इसकी वजह शॉवर इफेक्ट बताई थी. उनका कहना है जब गर्मियों में ठंडा और सर्दियों गुनगुना पानी सिर पर डाला जाता है तो दिमाग अधिक आइडिया जनरेट कर पाता है. हालांकि इरविंग की रिसर्च शॉवर इफेक्ट के बिल्कुल विपरीत है.
- अब इन दोनों ही रिसर्च में सही रिसर्च का पता लगाना मुश्किल हो पा रहा था. ऐसे में, इस सवाल का सटीक जवाब जानने के लिए एक और रिसर्च की गई. 2015 में इस रिसर्च का रिजल्ट सामने आया, जिसमें कहा गया था कि अगर हम जबरदस्ती सोचने की कोशिश करते है तो क्रिएटिव आइडिया जेनरेट नहीं हो पाते हैं. अगर दिमाग में बहुत सी बातें एक साथ चल रही होती हैं तो उस दौरान आए विचार अधिक क्रिएटिव नहीं हो पाते हैं.
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