नमाज पढ़ते हुए एक लाइन में क्यों खड़े होते हैं सभी मुस्लिम? नहीं जानते होंगे आप
दुनियाभर में सभी धर्म के लोग रहते हैं,सभी धर्मों के लोगों के अपने तौर तरीके भी होते हैं.लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस्लाम में नमाज पढ़ने के वक्त सभी लोग एक दिशा में और एक लाइन में क्यों खड़े होते हैं.
दुनियाभर में सभी धर्म के लोग रहते हैं. वहीं सभी धर्म के लोगों की अपनी मान्यताएं और कल्चर है, जिसको उस धर्म के लोग फॉलो करते हैं. इतना ही नहीं सभी धर्म के लोगों में प्रार्थना करने का तरीका भी अलग होता है. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर इस्लाम को मानने वाले लोग नमाज पढ़ने के समय एक लाइन में क्यों खड़ा होकर एक दिशा में देखते हैं.
मुस्लिम
इस्लाम को मानने वालों की आबादी दुनियाभर में तेजी से बढ़ रही है. आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल दुनियाभर में लगभग 1.9 अरब मुस्लिम समुदाय के लोग हैं, जो 2030 तक बढ़ कर 2.2 अरब हो जाएंगे. आज इस्लाम दुनिया का सबसे बड़ा धर्म है, जिसे मानने वाले लोग दुनिया की कुल आबादी का लगभग 24 फीसदी हिस्सा हैं. ये आंकड़े 'द ग्लोबललिस्ट' से लिए गए हैं.
मुसलमानों की प्रार्थना
मुसलमानों को दिन में पांच वक्त की नमाज पढ़ना जरूरी होता है. मुस्लिम धर्म में इससे किसी बहाने से भी बचने की गुंजाइश नहीं होती है. वहीं आपने देखा होगा कि दुनिया के सभी मुसलमान एक ही दिशा में अपना मुंह कर नमाज पढ़ते हैं, वह व्यक्तिगत तौर पर नमाज पढ़ रहे होंगे या सामूहिक तौर पर लेकिन उनका मुंह एक तरफ ही होता है. इसके अलावा नमाज पढ़ने के समय वो एक साथ एक लाइन में खड़े होते हैं. उनके बीच इसे लेकर कोई विवाद नहीं होता है. इसकी वजह है कि कुरान और हदीस में इस बात का साफ तौर पर उल्लेख कर दिया गया है कि नमाज किबला रुख की तरफ मुहं करके पढ़नी है और एक बराबर खड़े होकर पढ़नी है. यानी सउदी अरब में जो मक्का मस्जिद है और जहां दुनिया भर के मुसलमान हज करने जाते हैं, उसी तरफ रुख करके नमाज पढ़नी होती है.
भारत में किस दिशा में पढ़ते हैं नमाज
भारत से यह मस्जिद पश्चिम की दिशा में पड़ती है, इसलिए भारत के मुसलमान पश्चिम दिशा में रुख करके नमाज अदा करते हैं. लेकिन सउदी अरब के दूसरी दिशाओं में पड़ने वाले देशों के मुसलमान उत्तर-दक्षिण या पूरब की तरफ भी अपना रुख कर नमाज पढ़ते हैं. इसलिए दिशा महत्वपूर्ण न होकर यहां मक्का मस्जिद की तरफ रुख करना ज्यादा महत्वपूर्ण माना गया है. मौलाना अबरार कासमी के मुताबिक अल्लाह दुनिया के जर्रे-जर्रे में व्याप्त है. वो हर दिशाओं में हैं, लेकिन किबला रुख कर नमाज पढ़ने के हुक्म के पीछे सभी को एक सूत्र में बांधना और विवादों से बचना बड़ा मकसद है. एक साथ लाइन में एक बराबर खड़ा होना भी ये बताता है कि अल्लाह के सामने उसके सभी बंदे एक बराबर हैं, वो गरीब होंगे या अमीर. सब एक बराबर हैं.
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