Ants: तापमान कम होने पर यानी सर्दियां आने पर कुछ जीव अंडरग्राउंड हो जाते हैं. वो दिखना बंद हो जाते हैं. लेकिन गर्मियां आते ही वो वापस से बाहर निकल आते हैं. चीटियां उन्ही में से एक है. गर्मियां शुरू होते ही ये अपने घरों से बाहर निकल कर भोजन की तलाश में भटकना शुरू कर देती हैं. अपने लिए भोजन  ढूंढने के चक्कर में कभी-कभी ये हमारा बहुत नुकसान कर देती हैं. वहीं, अगर ये काट लें तो जलन होने लगती है. ऐसे में इंसान चिढ़कर या फिर सामान की सुरक्षा के लिए लक्ष्मणरेखा चॉक से इनके रास्ते में लाइन खींच देता है.


जब चीटियां लक्ष्मणरेखा की इस लाइन को पार करती हैं. उसके कुछ ही देर बाद उनकी मौत हो जाती है. अब सवाल आता है कि आखिर इस लाइन में ऐसा क्या होता है जो इसे क्रॉस करते ही उनकी मौत हो जाती है? आइए जानते हैं


चीटियां रास्ता कैसे ढूंढती हैं?


सबसे पहले तो यह जान लेते हैं कि चीटियां घर से भोजन तक का रास्ता कैसे ढूंढती हैं. चीटियां आपको हमेशा एक कतार में चलती नजर आएंगी. अगर पहली चींटी ने अपना रास्ता थोड़ा-सा भी बदला या टेढ़ा किया, तो उसके पीछे की सारी चीटियां भी उसी रास्ते पर चलना शुरू कर देती हैं. दरअसल, जब चीटियां भोजन की तलाश में निकलती है तो इनके आगे रानी चींटी चलती है. ये अपनी बॉडी से फेरोमोंस नाम का एक खास रसायन को छोड़ती है. बाकी सभी चीटियां इसी रसायन की गंध को फॉलो करती है. जिससे एक लाइन बन जाती है.


फ्लोर पर फैल जाते हैं न्यूरोटोक्सिन इंसेक्टिसाइड 


इस तरह फूड और कॉलोनी तक एक पाथ क्रिएट हो जाता है. जिसे फॉलो करते हुए सभी चीटियां फूड को अपनी कॉलोनी तक लेकर जाती हैं. फूड और कॉलोनी के रास्ते में खींची जाने वाली लक्ष्मणरेखा चॉक की लाइन में साइपरमेथ्रिन और डेल्टामेथ्रिन जैसे दूसरे कॉन्टैक्ट इंसेक्टिसाइड फ्लोर पर फैल जाते हैं. 


लाइन को पार करने पर क्या होता है?


हिचकिचाते हुए जैसे ही चींटी इस लाइन को पार करती है, वैसे ही ये साइपरमेथ्रिन न्यूरोटोक्सिन उसके नर्वस सिस्टम में ट्रैवल कर रहे सिग्नल्स को ब्लॉक कर देता है. इस तरह धीरे-धीरे उसके शरीर के सभी अंग काम करना बंद कर देते हैं, जिससे तड़प-तड़प कर उसकी मौत हो जाती है. लक्ष्मणरेखा का ऐसा ही असर कोकरोच पर भी होता है.


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