Ants Moving In Circle : हर पैदा हुए जीव का मरना निश्चित है. इंसान, बड़े और खूंखार जानवर, कीड़े- मकोड़े सबका मरना निश्चित है. नॉर्मली जीवों की मौत किसी बीमारी या बुढ़ाते के कारण होती है. लेकिन इंसान अक्सर अपनी मौत का खुद ही जिम्मेदार होता हैं. इंसान की तरह कई जीव अपनी मौत को खुद दावत देते हैं और उन्हीं मे से एक है चींटी. चींटियां अक्सर कुछ न कुछ ऐसा करती रहती हैं जिससे उनकी मौत हो जाती है. चींटियां खुद ही एक चक्र बनाती हैं और उसमें फंस कर मर जाती हैं. सैंकड़ों चीटिंयों को एक दूसरे के पीछे, गोलाई में घूमते तो आपने देखा ही होगा और इस चक्र के बीच में मरी हुई चींटियों का ढेर लगा होता है उसके बावजूद इर्द-गिर्द चींटियां घूम रही होती हैं. क्या आपको चींटियों के गोलाई घूमने के पीछे का कारण मालूम है?
‘मौत का चक्र’ बनाने का कारण
चींटियों के इस चक्र को ‘चींटियों की मौत का चक्र’ कहा जाता है. जब ये चींटियां मौत के चक्र में घूमती दिखाई दे तो समझिए कि उनकी मौत का समय आ गया है. नेशनल जियोग्राफिक के मुताबिक, चींटियों की 150 नस्लों को मिलाकर एक समूह बनता है जिसे आर्मी आंट कहा जाता हैं. ये चींटियां आर्मी की तरह जंगल में शिकार करने निकलती हैं और बहुत छोटे जीवों को अपना शिकार बनाती हैं. ये चींटियां एक साथ मिलकर बड़े जीवों का भी शिकार कर लेती हैं लेकिन इन चींटियों के अंदर एक बहुत बड़ी कमी भी है. ये चींटियां अंधी होती हैं, इसलिए ये एक दूसरे के भरोसे ही आगे चलती हैं. असल मे, इन चींटियों के अंदर से ऐसे हॉर्मोन निकलते हैं जिनकी खास स्मेल होती है. उसी स्मेल को पहचान बना कर ये चींटियां एक दूसरे का पीछा करते हुए आगे बढ़ती हैं.
चक्र में घूमते हुए क्यों मर जाती हैं चींटियां?
अक्सर आगे चल रही चींटी रास्ता भटक जाती है और अलग स्मेल को फॉलो करने लगती है और उसके पीछे वाली भी उसी को फॉलो करने लगती है. जब ये चींटियां चाल चक्र मे आ जाती है तो चींटियां एक दूसरे की स्मेल का पीछा करते हुए उस चक्र में घूमने लगती हैं. एक दूसरे का पीछा करते करते बहुत ज्यादा चींटियां इस चक्र का हिस्सा बन जाती है जिससे यह चक्र बहुत बड़ा हो जाता है और ये चींटियां घूमते - घूमते थक कर मर जाती हैं. मेंटल फ्लॉस वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, एक वैज्ञानिक ने करीब 1200 फीट के आकार का चींटियों के मौत का चक्र जंगल में देखा था. चींटियों को उस चक्र को पूरा करने में 2.5 घंटे का समय लग रहा था. यह चक्राकार दो दिन तक चला था और बहुत अधिक चींटियों की मौत भी हो गई थी.
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