दिल्ली एनसीआर में एक बार फिर से बुधवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. भूकंप की डर की वजह से लोग घरों और दफ्तरों से बाहर निकलकर आ गए थे. वहीं भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान में था. अफगानिस्तान में 6.1 तीव्रता वाले भूकंप के बाद दिल्ली की धरती कांप उठी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भूकंप क्यों आता है ? आज हम आपको भूकंप आने से जुड़ी बातें बताएंगे. 


साल में कितनी बार आता है भूकंप


जानकारी के मुताबिक दुनियाभर में हर साल लगभग 20 हजार से ज्यादा बार भूकंप आते हैं. इन भूकंप में कुछ तो इतने मामूली होते हैं कि वो सिस्मोग्राफ पर दर्ज भी नही हो पाते हैं. वहीं कुछ इतने शक्तिशाली होते हैं कि तबाही मचा देते हैं. बता दें कि भूकंप आने का कारण धरती के भीतर की उथल-पुथल बताई जाती है. एक तथ्य ये भी है कि ये भूकंप के झटके लाखों की संख्या में होते हैं, लेकिन ज्यादातर झटके हल्के होने के कारण उनका पता नही लग पाता है. 


भूकंप आने का कारण


पृथ्वी की सतह के नीचे या या कहे कि धरती के अंदर हमेशा उथल-पुथल मची रहती है. धरती के अंदर मौजूद प्लेटें लगातार आपस में टकराती या दूर खिसक रही होती हैं. इसी के चलते हर साल भूकंप आते रहते हैं. भूकंप को समझने से पहले हमें धरती के नीचे मौजूद प्लेटों की संरचना को समझना चाहिए. एक जानकार ने बताया कि धरती में 12 टैक्टोनिक प्लेटें होती हैं. इन प्लेटों के आपस में टकराने पर जो ऊर्जा निकलती है, उसे ही भूकंप कहा जाता है. 


क्या होता है भूकंप का केंद्र?


बता दें कि धरती की सतह के नीचे की वह जगह जहां पर चट्टानें आपस में टकराती हैं या टूटती हैं. भूकंप का केंद्र कहलाता है. इसे हाइपोसेंटर भी कहते हैं. इस केंद्र से ही ऊर्जा तरंगों के रूप में बतौर कंपन फैलती है और भूकंप आता है. यह कंपन एकदम उसी तरह होता है, जैसे शांत तालाब में पत्थर फेंकने पर तरंगें फैलती हैं. विज्ञान के मुताबिक धरती के केंद्र और भूकंप के केंद्र को आपस में जोड़ने वाली रेखा जिस स्थान पर धरती की सतह को काटती है, उस जगह को ही भूकंप का अभिकेंद्र या एपिक सेंटर कहा जाता है. 


क्यों टूटती हैं चट्टानें?


विज्ञान में आपने पढ़ा है कि धरती सात भूखंडों से मिलकर बनी हुई है. ये भूखंड प्रशांत महासागरीय भूखंड, भारतीय-आस्ट्रेलियाई भूखंड, उत्तर अमेरिकी भूखंड, दक्षिण अमेरिकी भूखंड, अफ्रीकी भूखंड, अन्टार्कटिक भूखंड और यूरेशियाई भूखंड हैं. वहीं धरती के नीचे चट्टानें दबाव की स्थिति में रहती हैं. जब यह दबाव एक सीमा से अधिक हो जाता है, तो चट्टानें अचानक से टूटने लगती हैं. इस बदलाव के कारण वर्षों से मौजूद ऊर्जा मुक्त हो जाती है. इस ऊर्जा से चट्टानें किसी कमजोर सतह की तरह टूट जाती हैं.


सबसे ज्यादा भूकंप कहां आता?


दुनिया में सबसे अधिक भूकंप इं‍डो‍नेशिया में आते हैं, यह देश रिंग ऑफ फायर में स्थित है. जिस कारण यहां ज्यादा भूकंप आते हैं. इसके अलावा जावा और सुमात्रा भी इसी क्षेत्र में आते हैं. प्रशांत महासागर के पास स्थित यह क्षेत्र दुनिया का सबसे खतरनाक भू-भाग कहा जाता है.


भूकंप को कितने जोन में बांटा गया?


भूकंप के लिहाज से भारत को 5 जोन में बांटा गया है. बता दें कि इसमें भूकंप के खतरे के हिसाब से इलाकों को रखा गया है. भूकंप से सबसे ज्यादा खतरा जोन-5 के इलाकों को है, वहीं सबसे कम खतरा जोन 1 और 2 के इलाकों को है. पांचवे जोन में देश का कुल 11 फीसदी हिस्सा आता है, जबकि चौथे जोन में 18 फीसदी हिस्सा आता है. वहीं तीसरे और दूसरे जोन में देश का 30 फीसदी हिस्सा आता है.


सबसे सेफ जगह कौन सी ?


भूकंप के लिहाज से जोन 1 का इलाका सबसे सुरक्षित माना जाता है. इस इलाके में भूकंप आने की संभावना बहुत कम होती है. जोन-1 में पश्चिमी मध्यप्रदेश, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक पूर्वी महाराष्ट्र और ओडिशा को शामिल किया गया है. वहीं भूकंप के जोन 2 को सबसे कम खतरे वाला इलाका माना जाता है, इसमें राजस्थान, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा को शामिल किया गया है.


भूकंप से सबसे ज्यादा खतरा


देश में सबसे ज्यादा खतरे वाले इलाकों की बात किया जाए, तो इसमें जोन-5 में आने वाले शहर आते हैं. इस इलाके में गुजरात का कच्छ, उत्तरांचल और पूर्वोत्तर के राज्य आते हैं. वहीं जोन-4 में भी भूकंप का खतरा रहता है, हालांकि जो जोन-5 के मुकाबले कम होता है. इस इलाके में राजधानी दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर, पश्चिमी गुजरात, हिमाचल प्रदेश, उत्तरांचल, उत्तर प्रदेश के पहाड़ी इलाके और बिहार-नेपाल सीमा के कई इलाके शामिल हैं.


 


ये भी पढ़े:सोने से बनी काबा की चाबी किसके पास? बिना इजाजत तो सऊदी किंग भी नहीं जा सकते अंदर