Goosebumps Fact: मोबाइल फोन पर आपको कोई बेहद भयानक विडियो दिखता है तो विडियो देखते-देखते या देखने के बाद आपका पहला रिऐक्शन कुछ ये होगा कि आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे या फिर आप स्विमिंग पूल से नहाकर बाहर निकलें और तेज हवा चलने लगे? तब क्या होगा? तब भी आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे. आखिर ऐसा क्यों है कि 2 अलग-अलग घटनाओं में हमारा शरीर एक जैसा रिऐक्शन देता है? दरअसल इसके की पीछे मुख्य वजह शरीर विज्ञान और इससे जुड़ी भावनाएं हैं.
क्या होता है रोंगटे खड़े होना?
दरअसल रोंगटे खड़े होना जिसे इंग्लिश में goosebumps कहते हैं एक सामान्य शारीरिक घटना है, जो हमें अपने पूर्वजों से विरासत में मिली है. ये अद्भुत शारीरिक घटना हम लोगों से ज्यादा हमारे पूर्वजों के लिए फायदेमंद थी. जब किसी वजह से हमारी स्किन में छोटे-छोटे उठान हो जाते हैं जिससे शरीर पर मौजूद बाल बिलकुल सीधे खड़े हो जाते हैं तो इस घटना को गूजबम्प्स या रोंगटे खड़े होना कहा जाता है.
क्यों होता है ऐसा?
दरअसल स्किन पर मौजूद बाल से जुड़ी छोटी-छोटी मांसपेशियों की सिकुड़न और संकुचन की वजह से ही रोंगटे खड़े होते हैं. सिकुड़ने वाली हर मांसपेशी स्किन की सतह पर एक तरह का छिछला गड्ढा बनाती है जिससे उसके आसपास के हिस्से में उभार आ जाता है. जब हमें ठंड लगती है तब भी कुछ ऐसा ही महसूस होता है. ठीक यही प्रक्रिया जानवरों में भी होती है. जानवरों में रोंगटे खड़े होने पर उनके मोटे और घने बाल फैल जाते हैं औऱ हवा की थोड़ी सी मात्रा को अपने अंदर समेट लेते हैं जो इंसुलेशन लेयर का काम करता है. बालों की लेयर कितनी ज्यादा घनी होगी, वे उतनी ही ज्यादा गर्माहट को रोक पाएंगे.
रोंगटे खड़े होने का वैज्ञानिक कारण
दरअसल शरीर में स्ट्रेस हॉर्मोन जिसे ऐड्रेनलिन कहते हैं के अवचेतन अवस्था में रिलीज होने पर रोंगटे खड़े होते हैं. जानवरों में यह स्ट्रेस हॉर्मोन उन्हें ठंड लगने, स्ट्रेस या तनाव भरी परिस्थिति में रिलीज होता है. इंसानों में ऐड्रेनलिन हॉर्मोन डर लगने पर, ठंड लगने पर इमोशनल होने पर, तनाव की स्थिति में आने पर कभी भी रिलीज हो जाता है. इंसानों में ऐड्रेनलिन रिलीज होने पर आंसू निकालना, हथेली से पसीना आना, हार्टबीट तेज हो जाना, हाथ कांपना, ब्लड प्रेशर बढ़ जाना और पेट में कुछ अजीब सा होने लगाना जैसे परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं. किसी तरह के इमोशनल सिचुएशन में ही नहीं बल्कि भूत या डरावनी फिल्म देखने के दौरान भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं. कई बार अतीत में हो चुकी किसी पुरानी घटना याद आ जाए तब भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं
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