मेडिकल स्टोर से जब भी आप दवाएं खरीदते हैं तो आपने देखा होगा कि ज्यादातर दवाएं एल्युमिनियम फॉइल वाले पैकेट में बंद होती हैं. लेकिन ऐसा क्यों होता है. चलिए आपको आज इस आर्टिकल में इसके पीछे के विज्ञान के बारे में बताते हैं. इसके साथ ही आपको बताते हैं कि इस बात में कितनी सच्चाई है कि एल्युमिनियम फॉइल में पैक करने से दवाएं जल्दी खराब नहीं होतीं.


एल्युमिनियम फॉइल का इस्तेमाल क्यों होता है


एलोपैथिक ज्यादातर दवाएं केमिकल के अलग-अलग मिश्रणों से तैयार होती हैं. इनमें से कुछ केमिकल पर्यावरण और जीवों के लिए नुकसान दायक होते हैं. यही वजह होती है कि कुछ दवाएं ऐसी होती हैं, जिनके पैकेट पर साफ-साफ लिखा होता है कि इन्हें तभी खाएं जब डॉक्टर इसकी सलाह दें. यही वजह है कि कंपनियां इनके पैकेजिंग पर खास ध्यान देती हैं ताकि ये आसानी से खुल कर बाहर ना निकल जाएं. एल्युमिनियम फॉइल इसमें बेहद कारगर तरीके से काम करता है.


दरअसल, एल्युमिनियम में कभी जंग नहीं लगता, इसके अलावा इसमें पैक दवा पर नमी का असर नहीं पड़ता. वहीं एल्युमिनियम फॉइल से बने पैकेट दवाओं को अल्ट्रावाइलेट किरणों से भी बचाती हैं. इसके साथ ही एल्युमिनियम फॉइल से बने पैकेट दवाओं को पानी, तेल और ऑक्सीजन से भी बचाते हैं. इसके अलावा इसके कॉस्टिंग बेहद कम होती है और यह ज्यादा टिकाऊ होता है. यही वजह है कि ज्यादातर दवाओं को पैके करने के लिए एल्युमिनियम फॉइल वाले पैकेट का इस्तेमाल किया जाता है.


एल्युमिनियम फॉइल इस तरह से भी ठीक है


एल्युमिनियम धातु के साथ एक चीज और अच्छी होती है. ये किसी भी चीज से क्रिया नहीं करती. यही वजह है कि इसके अंदर अलग-अलग केमिकल से से बनी दवाएं सुरक्षित रहती हैं. आपने देखा होगा कि घर में खाना बनाने के लिए भी एल्युमिनियम के बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है. ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इसमें बने खाने का स्वाद धातु से क्रिया कर के बदलता नहीं है. हालांकि, एक्सपर्ट हमेशा मना करते हैं कि गर्म एल्युमिनियम फॉइल में खाने वाली चीजों को रखने से बचना चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि गर्म होने पर एल्युमिनियम फॉइल में से भी रसायन निकलते हैं.


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