आपने अपने जीवन में ऐसे कई लोगों को देखा होगा, जो गुस्सा आने पर जोर से दरवाजे पर लात मार के या तो गेट को जोर से बंद करके कमरे से बाहर चले जाते हैं. लेकिन, कभी सोचा है कि आखिर ये सारा गुस्सा बेचारे दरवाजे पर ही क्यों निकलता है? वैसे इसके पीछे भी एक साइंस है और विज्ञान की वजह से लोग दरवाजे पर गुस्सा निकालते हैं. साइंस के पास इसका जवाब है, आज इस आर्टिकल में हम आपको वो ही जवाब बताएंगे. इसके साथ ही ये भी बताएंगे की साइंस की भाषा में इस थ्योरी को कहते क्या हैं और आखिर जोर से दरवाजा बंद करने का हमारे ऊपर प्रभाव क्या पड़ता है.


क्यों जोर से दरवाजा बंद करते हैं लोग?


दरअसल, गेट बंद करने के इस प्रोसेस के पीछे एक थ्योरी काम करती है. विज्ञान की भाषा में इसे डोर थ्रेशहोल्ड थ्योरी कहा जाता है. इस थ्योरी के अनुसार, जैसे ही गुस्से वाला इंसान दरवाजा बंद करके कमरे से बाहर जाता है उसका गुस्सा कम होने लगता है. होता क्या है जैसे ही इंसान गुस्से में दरवाजे को पार करके के कमरे से बाहर जाने लगता है, उसके गुस्से वाले इमोशंस हल्के पड़ने लगते हैं. ये थोड़े कम समय के लिए ही होता है, लेकिन ऐसा करने से उसका गुस्सा कम होने लगता है. साइंस इसी को डोर थ्रेशहोल्ड थ्योरी कहता है.


कब हुई थी इस पर स्टडी


इस थ्योरी पर साल 2006 में एक स्टडी भी हुई थी. इसे ग्रेबियल ए रेडवेन्सकी ने किया था. इस रिसर्च के दौरान 300 लोगों पर एक्सपेरिमेंट किया गया था. उसकी यादें धुंधली होने लगतीं. ऐसा जोर से दरवाजा बंद करने पर भी होता है और हल्के से दरवाजा बंद करने पर भी. ऐसे में गुस्सा आने पर लोग अपना जोर गेट पर निकालते हैं और गेट पर गुस्सा निकालने के बाद उनका गुस्सा भी कम हो जाता है, जिसके कई प्रमाण मिले हैं.


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