Leh Ladakh Flags: ऐसे बहुत ही कम लोग होंगे जिन्हे पहाड़ों की खूबसूरती पसंद न होगी. मौज मस्ती करने के लिए लोगों को ज्यादातर दो जगहें ही पसंद आती है. पहला तो कोई Baech या फिर वादियां. आपने देखा होगा कि लेह-लद्दाख या हिमाचल घूमने जाने वाले लोग अपनी बाइक या गाड़ियों पर कुछ रंग-बिरंगे झंडे बांधकर रखते हैं. जिनपर कुछ मंत्र अंकित रहते हैं. ये सतरंगी झंडे लेह-लद्दाख, तिब्बत, भूटान, नेपाल आदि में ज्यादातर देखने को मिलते हैं. लोग इन्हे फैंसी सजावट का सामान समझकर अपनी गाड़ियों में लगा लेते हैं. लेकिन इनकी हकीकत कुछ और है. आइए आज इनके असली मतलब को समझते हैं.
प्रेयर फ्लैग्स
ट्रैवल जुनून डॉट कॉम के मुताबिक, तिब्बत में इन्हे प्रेयर फ्लैग या प्रार्थना ध्वज कहा जाता है. सफेद बर्फ से ढकी हुई चोटियों पर सतरंगी आभा वाले ये झंडे वाकई बहुत सुंदर लगते हैं. इन झंडों का बौद्ध धर्म में आध्यात्मिक महत्व है. बौद्ध धर्म में इनको प्रार्थना के लिए इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इन्हें प्रार्थना ध्वज कहा जाता है. झंडों पर लिखे मंत्र से लेकर उनके रंग तक हर चीज का एक गहरा अर्थ है.
झंडों पर लिखी प्रार्थना करेगी शांति की स्थापना
बौद्ध धर्म की मान्यता के मुताबिक, ये प्रार्थना झंडे हवा के माध्यम से प्रार्थनाओं को आगे तक ले जाते हैं और वातावरण में शांति, दया, शक्ति और बुद्धिमत्ता को फैलाते हैं. ऐसा कहा जाता है कि सबसे पहला प्रार्थना झंडा महात्मा गौतम बुद्ध ने इस्तेमाल किया गया था. माना जाता है कि झंडों पर लिखी प्रार्थनाएं हवा के माध्यम से फैलाकर विश्व शांति स्थापित करेंगी.
झंडे के हर रंग का होता है अपना मतलब
ये झंडे लाल, नीले, पीले, सफेद और हरे रंग के होते हैं. जिनमें से लाल रंग अग्नि का प्रतीक होता है, नीला और सफेद रंग हवा का, पीला रंग पृथ्वी का और हरा रंग पानी का प्रतीक है. ये झंडे उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम और केंद्र दिशा का प्रतिनिधित्व भी करते हैं.
झंडों पर लिखे मंत्र का खास अर्थ
इन झंडों पर संस्कृत में एक मंत्र भी लिखा होता है. ये मंत्र ‘ओ३म मणि पद्मे हुम्’ होता है. इसमें ओ३म पवित्र शब्दांश है, मणि का अर्थ है गहना, पद्मे का अर्थ कमल और हूम का अर्थ ज्ञान की भावना से होता है. लोगों का मानना है कि इस मंत्र को जपने से इंसान की सब खतरों से सुरक्षा होती है. बौद्ध धर्म की मान्यता है कि जब हवा चलती है इन मंत्रों की सकारात्मकता भी वातावरण में प्रवाहित होती है. इसलिए इन झंडों को हमेशा ऊंचाई पर बांधा जाता है.