तिब्बत के ऊपर से पायलट क्यों नहीं उड़ाते हैं प्लेन?, ये है इसके पीछे की वजह
आपने फ्लाइट में सफर किया होगा और खिड़की के बाहर से सुंदर नजारे भी देखे होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पायलट कभी भी तिब्बत के पठारों के ऊपर से फ्लाइट नहीं उड़ाते हैं. जानिए इसकी वजह.
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आज के वक्त अधिकांश लोग फ्लाइट से सफर करना पसंद करते हैं. क्योंकि लंबी दूरी का सफर कुछ ही घंटों में पूरा हो जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धरती पर एक ऐसी जगह है, जहां के ऊपर से पायलट प्लेन उड़ाने से डरते हैं. जी हां, हम तिब्बत के पठारों की बात कर रहे हैं. आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों पायलट तिब्बत के पठारों के ऊपर से प्लेन नहीं उड़ाते हैं.
तिब्बत
भारत का पड़ोसी और सुंदर पठारों से घिरा तिब्बत अपने प्राचीन इतिहास और सुंदरता के कारण जाना जाता है. लेकिन आज हम आपको बताएंगे कि आखिर क्यों पायलट तिब्बत के पठारों के ऊपर से फ्लाइट नहीं उड़ाते हैं. इतना ही नहीं दुनियाभर की फ्लाइट जब एशिया में ट्रैवल करती हैं, तो वो तिब्बत के ऊपर से नहीं गुजरती हैं. दरअसल तिब्बत दुनिया का सबसे ऊंचा पठार है, जिसके कारण फ्लाइट्स को इस क्षेत्र को ऊपर से नहीं उड़ाया जाता है.
रूफ ऑफ द वर्ल्ड
तिब्बत को दुनिया की छत कहा जाता है. वो इसलिए क्योंकि यहां कई ऊंचे पहाड़ हैं. दुनिया की दो सबसे ऊंची चोटियां, माउंट एवरेस्ट और के2 (K2) दोनों यहीं स्थित हैं. वहीं किसी कारण अगर प्लेन का मुख्य इंजन फेल होता है, तो उसे दूसरे इंजन के सहारे उड़ाया जाता है. लेकिन दूसरे इंजन के सहारे प्लेन अधिक ऊंचाई पर नहीं उड़ सकता है. ऐसे में उसे काफी नीचे उड़ना पड़ेगा और वो किसी भी पहाड़ से टकरा सकता है.
फ्लाइट नहीं उड़ने का कारण
उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर में शिक्षा विभाग के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक और भूगोल विशेषज्ञ आर ए सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया है कि तिब्बती पठार की औसत ऊँचाई 4,500 मीटर (14,764 फीट) से अधिक है. वहीं उच्च ऊंचाई पर ऑक्सीजन की भी कमी नहीं रहती है. इसके अलावा ऑक्सीजन कम होने पर इंजन को भी और पॉवर की जरूरत होती है, जिसके लिए संभावित ईंधन की खपत बढ़ जाती है.
क्लीन एयर टर्ब्यूलेंस
बता दें कि जब आसमान में हवा का पैटर्न बदलता है, तब दबाव कम या ज्यादा होता है, तो उसे टर्ब्यूलेंस कहते हैं. टर्ब्यूलेंस के कारण फ्लाइट अक्सर आकाश में हिलने लगती हैं, मगर पाइलेट अपने केबिन में बैठे-बैठे टर्ब्यूलेंस को पहचान सकते हैं. जिसके बाद वो खुद से फ्लाइट को नियंत्रित कर सकते हैं. लेकिन ऐसा तिब्बत के क्षेत्र में नहीं होता है. यहां क्लीन एयर टर्ब्यूलेंस होता है, जो पायलट को पहले से नजर नहीं आता है. इसके अलावा तिब्बत क्षेत्र में पायलट के पास इमरजेंसी लैंडिंग का ऑप्शन नहीं है.
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