आपने अक्सर अपने आस-पास कहीं ना कहीं कबाड़-कचरा जरूर देखा होगा. धरती पर जहां भी इंसान रहते हैं, वहां पर कचरा होना आम बात है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अंतरिक्ष में कितनी गंदगी है. वहां पर मौजूद सैटेलाइट खराब होने के बाद कितना कचरा फैलाते हैं. आज हम आपको बताएँगे कि अंतरिक्ष में कितना कचरा है और इसे कैसे साफ किया जाता है. 


अंतरिक्ष


बता दें कि अंतरिक्ष में बहुत सारे सैटेलाइट मौजूद हैं. लेकिन कई बार सवाल पूछा जाता है कि आखिर ये सैटेलाइट कहां जाता है? जानकारी के मुताबिक अब तक करीब साढ़े 6 हजार कामयाब रॉकेट लॉन्च हुए हैं. अधिकांश देशों ने अंतरिक्ष में अपने-अपने सैटेलाइट भेजे हैं. हालांकि हर सैटेलाइट एक समय के बाद खराब ही होती है. जानकारी के मुताबिक खराब सैटेलाइट के लिए दो विकल्प हैं. खराब सैटेलाइट को कहां पर हटाना है, ये इस बात से तय होता है कि सैटेलाइट धरती से कितनी दूरी पर हैं. अगर सैटेलाइट काफी हाई ऑर्बिट पर है, तो उसमें तकनीकी गड़बड़ी आने के बाद उसे धरती पर लौटाने में काफी ईंधन खर्च हो सकता है. ऐसे में वैज्ञानिक उसे अंतरिक्ष में ही और आगे भेज देते हैं. 


इसके अलावा एक विकल्प होता है कि इसे धरती पर वापस लाया जाए. अधिकांश देश अंतरिक्ष में कचरा कम करने के लिए उसे वापस धरती पर लाते हैं. सैटेलाइट को धरती पर लौटाने के बाद उसे एक जगह जमा करना होता है. इसके लिए जिस जगह का इस्तेमाल होता आया है, उसे पॉइंट निमो कहते हैं. बता दें कि निमो शब्द लैटिन भाषा से है, जिसका अर्थ कोई नहीं है. जब किसी जगह को निमो पॉइंट कहा जाता है तो इसका अर्थ है कि वहां कोई नहीं रहता है. ये जगह सूखी जमीन से सबसे दूर की जगह होती है, यानी समुद्र के बीचों बीच की जगह होती है. इसे समुद्र का केंद्र भी माना जाता है. ये जगह दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच स्थित है. इसके अलावा कंबाइंड फोर्स स्पेस कंपोनेंट कमांड इस पर नजर रखता है कि अंतरिक्ष में इंसान क्या कर रहा है. कंबाइंड फोर्स स्पेस कंपोनेंट कमांड ने इसके लिए एक लिस्ट बनाई हुई है. जिसमें अलग-अलग तरह के जंक्स शामिल हैं. 


बता दें कि अंतरिक्ष में कचरा कम करने के लिए संधि भी बनी है. नासा ने आर्टेमिस अकॉर्ड्स भी तैयार किया, जिसमें अंतरिक्ष के साफ-सुथरा और पीसफुल बनाए रखने की बात है. जानकारी के मुताबिक 28 देशों ने इस परसाइन किए हैं. हालांकि बड़े देशों में रूस और चीन अब भी इसका हिस्सा नहीं बने हैं. वहीं इस संधि में प्राइवेट कंपनियां भी इसमें शामिल नहीं हैं.


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