Sweating In Palm: गर्मी के मौसम में एक्सरसाइज करते समय या अधिक फिजिकल एक्टिविटी करते वक्त पसीना आना लाजमी है. लेकिन, अगर बिना कुछ किए ही बैठे-बैठे भी पसीना छूटने लगे तो अलर्ट होने की जरूरत है. खासतौर पर हथेलियों और पैरों के तलवों में पसीना आना. दुनियाभर में लाखों लोगों के साथ ऐसा होता है. विज्ञान में इस समस्या को हायपरहाइड्रोसिस (Hyperhidrosis) कहा जाता है. लोग इसे लेकर अक्सर परेशान रहते हैं. ऐसे मामले में पीड़ित में बेचैनी और समाज में शर्मिंगदी महसूस करने जैसी दिक्कत देखने को मिलती है.
आमतौर पर पसीने के जरिए शरीर अपना तापमान नियंत्रित करने की कोशिश करता है, लेकिन हायपरहाइड्रोसिस से परेशान लोगों को सर्दियों में भी हथेलियों और तलवों से पसीना आने की शिकायत रहती है. आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि हायपरहाइड्रोसिस बीमारी की वजहें क्या हैं और कब आपको डॉक्टर से सलाह लेने की जरूरत है...
हायपरहाइड्रोसिस के लक्षण
मेयोक्लीनिक की एक रिपोर्ट कहती है कि अगर आपके हाथों और पैरों के तलवों में हमेशा पसीना आता है और आपको इसकी कोई वजह समझ नहीं आ रही है तो यह हायपरहाइड्रोसिस का इशारा है. अगर किसी भी मौसम में या फिर कोई फिजिकल एक्टिविटी न होने पर भी पसीना आ रहा है, तो आपको अलर्ट होने की जरूरत है. हायपरहाइड्रोसिस के सबसे ज्यादा मामले हथेली, तलवे और अंडरऑर्म्स से जुड़े देखे जाते हैं.
कह ज्यादा अलर्ट होने की जरूरत है?
पसीना आने की शिकायत होने पर शरीर में कई और लक्षण भी दिखना शुरू होते हैं जो इसकी गंभीरता को प्रदर्शित करते हैं. जैसे- अगर पसीना बहुत ज्यादा आ रहा है, सीने में दर्द हो रहा है और उल्टी आने जैसी समस्याएं महसूस हो रही हैं तो यह स्थिति पूरी तरह से अलर्ट होने वाली है. ऐसे मामलों में जल्द से जल्द विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें.
पसीना आने के लिए स्वेट ग्लैंड है जिम्मेदार
आइए अब समझते हैं कि ऐसा क्यों होता है. पसीने का काम शरीर के तापमान को नियंत्रित करना होता है. आसान भाषा में समझें तो हमारे शरीर में मौजूद स्वेट ग्लैंड पसीने को रिलीज करती है. शरीर में नर्व होती है जो इस ग्लैंड को पसीना निकालने के निर्देश देती है. लेकिन जब स्वेट ग्लैंड (Sweat Gland) ओवर एक्टिव हो जाती है तो अधिक पसीना निकालने लगती है. इस स्थिति को ही हायपरहाइड्रोसिस कहते हैं. हायपरहाइड्रोसिस होने की सटीक का पता अभी नहीं लगाया जा सका है.
इसके अलावा, ऐसा होने के कई और दूसरे कारण भी हो सकते हैं. जैसे- डाइबिटीज, लो ब्लड शुगर, कुछ खास तरह के कैंसर, हार्ट अटैक, इंफेक्शन और थायरॉयड की समस्या में भी ऐसी दिक्कत देखने को मिल सकती है. कई मामलों में यह बीमारी आनुवांशिक तौर पर पीढ़ी दर पीढ़ी देखने को मिलती है.
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