स्पेस में हजारों एस्टोरॉयड से क्यों नहीं टकराते हैं स्पेसक्राफ्ट? जानें क्या है इसका जवाब
स्पेस में हजारों स्टेरॉयड एक दूसरे के आसपास ही घूमते रहते हैं, लेकिन क्या कभी सोचा है कि वो आपस में टकराते क्यों नहीं हैं? चलिए आज हम इस सवाल का जवाब जान लेते हैं.
स्पेस में हजारों एस्टरॉयड मौजूद हैं, लेकिन आजतक कभी कोई भी स्पेसक्राफ्ट एस्टरॉयड से नहीं टकराया. इसकी भी एक दिलचस्प और थोड़ी मुश्किल कहानी है. माना जाता है कि ऐसा इसलिए होता है क्योंकि स्पेसक्रॉफ्ट में उस तरह की तकनीक का इस्तेमाल होता है. आइए विस्तार से जानते हैं एस्टरॉयड से स्पेसक्रॉफ्ट क्यों नहीं टकराता है?
इस एक कल्पना से भी समझने का प्रयास करते हैं मान लीजिए एक दूरदराज के ग्रह पर स्थित एक अंतरिक्ष एजेंसी एक महत्वाकांक्षी मिशन की योजना बना रही है. मिशन का उद्देश्य एक नए ग्रह पर जीवन की खोज करना है. इस मिशन के लिए एक अत्याधुनिक स्पेसक्राफ्ट तैयार किया गया है, जो हजारों एस्टरॉयडों के बीच से गुजरने वाला है. एस्टरॉयड बेल्ट के बारे में सोचते ही हमारे दिमाग में एक घनी, बेतरतीब और खतरनाक जगह की इमेज सामने आती है, लेकिन वास्तविकता उससे अलग है.
स्पेस में क्यों नहीं टकराते हजारों स्टेरॉयड?
स्पेसक्राफ्ट के वैज्ञानिक और इंजीनियर एक चुनौतीपूर्ण योजना बनाते हैं. सबसे पहले, वे एस्टरॉयड बेल्ट की पूरी सटीकता से मैपिंग करते हैं. इसके लिए वे विशाल टेलीस्कोपों और अन्य उन्नत उपकरणों का उपयोग करते हैं जो अंतरिक्ष में एस्टरॉयडों की स्थिति, गति और दिशा को ट्रैक करते हैं. इस डेटा के आधार पर वो एक रास्ता तय करते हैं जो इन खगोलीय वस्तुओं से टकराने के जोखिम को कम करता है.
अब, स्पेसक्राफ्ट का सॉफ्टवेयर और उसके ऑटोमैटेड सिस्टम्स को तैयार किया जाता है. यह सिस्टम न केवल एस्टरॉयडों की स्थिति का अवलोकन करता है, बल्कि वे उनकी गति और संभावित टकराव के संभावनाओं की गणना भी करता है. अगर किसी एस्टरॉयड से टकराने की संभावना बढ़ जाती है, तो स्पेसक्राफ्ट का सॉफ्टवेयर तुरंत प्रतिक्रिया देता है और रास्ता बदल देता है. यह एक तरह की 'पायलटिंग' सिस्टम है जो बिना मानव के दखल के काम करती है और अत्यधिक सटीक होती है.
इसके अतिरिक्त, स्पेसक्राफ्ट के डिजाइन में भी सुरक्षा के उपाय किए जाते हैं. इसके बाहरी हिस्से को अत्यधिक मजबूत चीजों से तैयार किया जाता है. इससे अगर कभी कोई छोटा एस्टरॉयड स्पेसक्राफ्ट के पास से गुजरे भी, तो उसका प्रभाव कम हो जाएगा. जब स्पेसक्राफ्ट एस्टरॉयड बेल्ट में प्रवेश करता है, तो इसे उसके ऑटोमैटेड सिस्टम और पायलटिंग सॉफ़्टवेयर पर पूरी तरह से भरोसा होता है. यात्रा के दौरान, यह निरंतर एस्टरॉयड बेल्ट की स्थिति की निगरानी करता है और अगर कोई नई चीज उसकी दिशा में आ रही होती है, तो उसे तुरंत रूट बदलने का आदेश दे देता है.
इसके साथ ही, पृथ्वी से भी लगातार संपर्क बनाए रखा जाता है. मिशन कंट्रोल सेंटर अंतरिक्ष में हो रहे परिवर्तनों की सटीक जानकारी प्राप्त करता है और अगर आवश्यक हो तो मार्ग परिवर्तन की सलाह देता है.