रात के वक्त चमकते क्यों हैं सैटेलाइट, इनमें कहां से आती है रोशनी?
स्पेस में दुनिया के अधिकांश देशों के सैटेलाइट मौजूद हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर सैटेलाइट क्यों चमकते हैं और उसके अंदर से रोशनी कहां से आती है.
अंतरिक्ष में बहुत सारे सैटेलाइट मौजूद हैं. भारत समेत अधिकांश देशों की स्पेस एजेंसियों ने स्पेस में अपने सैटेलाइट छोड़े हुए हैं. लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि सैटेलाइट रात के वक्त क्यों चमकते हैं. सवाल ये है कि सैटेलाइट को लाइट कहां से मिलती है ? आज हम आपको इसके पीछे का विज्ञान बताएंगे.
स्पेस में इन देशों के सैटेलाइट मौजूद
दुनियाभर के अधिकांश देशों ने स्पेस में सैटेलाइट को लॉन्च किया है. हालांकि इस मामले में बाकी देशों से सबसे आगे अमेरिका है. एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका के 2804 सैटलाइट एक्टिव हैं. वहीं दूसरे नंबर पर चीन है और यूके के 349, वहीं रूस चौथे नंबर पर है. बता दें कि रूस के 168, जापान के 93 और भारत के 61 सैटेलाइट एक्टिव हैं. लेकिन क्या आपने ये ध्यान दिया है कि सभी सैटेलाइट रात के वक्त चमकते हैं.
सैटेलाइट क्यों चमकते?
अब सवाल ये है कि सैटेलाइट आखिर क्यों चमकते हैं. बता दें कि सैटेलाइट आम तौर पर मृत उपग्रह होते हैं, जो कक्षा में रहते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर सैटेलाइट स्पेस में घूमने के दौरान रात में चमकते क्यों हैं और इन्हें इसके लिए बिजली कहां से मिलती है. बता दें कि जब सैटेलाइट घूमते हैं, तो उनकी सतह सूर्य के प्रकाश को परावर्तित करती है। जिससे आकाश में घूमते समय वस्तुएँ चमकती हुई दिखाई देती हैं.
इस जगह पर गिरते हैं सैटेलाइट
अब दुनियाभर के इतने देशों ने सैटेलाइन लॉन्च किया है, तो जाहिर सी बात है कि अंतरिक्ष में सैटेलाइट का कचरा बढ़ेगा. क्या आप जानते हैं कि सैटेलाइट का इस्तेमाल होने के बाद उसके कचरे को कहां भेजा जाता है. बता दें कि सैटेलाइट को धरती पर लौटाने के बाद उसे एक जगह जमा करना होता है. उस जगह को पॉइंट निमो कहते हैं. बता दें कि निमो शब्द लैटिन भाषा से है, जिसका अर्थ कोई नहीं है. जब किसी जगह को निमो पॉइंट कहा जाता है तो इसका अर्थ है कि वहां कोई नहीं रहता है. इसे समुद्र का केंद्र भी माना जाता है. ये जगह दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच स्थित है.
कचरा कम करने को लेकर बनी है संधि
बता दें कि अंतरिक्ष में कचरा कम करने के लिए संधि भी बनी है. नासा ने आर्टेमिस अकॉर्ड्स भी तैयार किया, जिसमें अंतरिक्ष के साफ-सुथरा और पीसफुल बनाए रखने की बात है. जानकारी के मुताबिक 28 देशों ने इस पर साइन किए हैं. हालांकि बड़े देशों में रूस और चीन अब भी इसका हिस्सा नहीं बने हैं. वहीं इस संधि में प्राइवेट कंपनियां भी इसमें शामिल नहीं हैं.
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