हमारे जीवन की कोई खुशी हो या कोई दुख हो. दोनों का ही कनेक्शन आंसुओ से होता है. अक्सर आपने देखा होगा कि कोई व्यक्ति बहुत दर्द मे है या दुखी हैं तो खुद ब खुद ही उसकी आंखों से आंसू निकलने लगते हैं. वो चाहे कितना भी आंसुओ को रोकने की कोशिश कर ले, लेकिन रोक नहीं पाता है. ठीक ऐसा ही खुशी के कारण भी होता है. अब सवाल यह आता है कि खुशी होने पर भी और रोने पर भी आंसू क्यों निकल आते हैं? आखिर आंसू निकलने का क्या कारण होता है? इसके अलावा आपको यह जानकर भी काफी हैरानी होगी कि आंसू केवल एक प्रकार के नहीं होते हैं बल्कि आंसू तीन प्रकार के होते हैं. आइए जानते हैं विस्तार से. 


आंसू के प्रकार 


पानी की तरह दिखने वाला एक जैसा आंसू भी अलग अलग तरह का होता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, आंसू तीन प्रकार के होते हैं. जिसमें सबसे पहला बेसल आंसू है, दूसरा नॉन-इमोशनल आंसू है और तीसरा क्राइंग आंसू है. आंसू तो एक जैसे ही दिखते हैं, फिर इनको तीन भागों में क्यों बांटा गया है? ये तीनों एक दूसरे से किस तरह अलग है? आइए जानते हैं. 


बेसल, नॉन-इमोशनल और क्राइंग आंसू मे अन्तर 


वैज्ञानिकों का मानना है कि बेसल वो होते हैं जो आंखों को सूखा होने से बचाते हैं. आपको बता दें कि बेसल आंसू में 98% पानी होता है, ये आंखों को लुब्रिकेट(lubricate) रखते हैं और संक्रमण से बचाते हैं. नॉन-इमोशनल आंसू आंखों में धूल के कण जाने से, आंखों मे कचरा जाने से या प्याज काटने से आते हैं. क्राइंग आंसू भावुक होने पर आते हैं. क्राइंग आंसू में टॉक्सिन्स और स्ट्रेस हॉर्मोन्स की मात्रा अधिक होती है.


आंसू निकलने का कारण


वैज्ञानिकों ने बताया है कि प्रत्येक व्यक्ति के दिमाग में एक लिंबिक सिस्टम होता है, जिसमें दिमाग का हाइपोथैलेमस होता है. दिमाग का यह भाग तंत्रिका-तंत्र से सीधे संपर्क में रहता है. इस तंत्र को न्यूरोट्रांसमिटर सिग्नल देता है और हमारे अन्दर की भावना के चरम पर पहुंचते ही हम रो पड़ते हैं. 


रोना है सेहत के लिए लाभदायक 


वैज्ञानिकों का मानना है कि रोने से दिमाग हेल्थी रहता है. एक अध्ययन में बताया, जिस तरह से पसीने और यूरीन के माध्यम से शरीर से विषाक्त पदार्थ बाहर निकलते हैं. ठीक उसी तरह क्राइंग आंसू के माध्यम से स्ट्रेस हॉर्मोन्स और टॉक्सिन्स बाहर निकल जाते हैं. इनका बह जाना शरीर के लिए बहुत लाभदायक होता है.


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