Termite: घर में कई जगह कीड़े-मकौड़ों अपना ठिकाना बनाकर रहते हैं. लेकिन, दीमक पलंग, दरवाजा या लकड़ी की अलमारी में न केवल अपना ठिकाना बनाती है, बल्कि उन्हें अंदर से खोखला भी कर देती है. दीमक जिस लकड़ी में लग जाती है, फिर उसे पूरा खत्म करके ही हटती है. इस छोटे से कीड़े में इतनी कठोर लकड़ी को खाने और पचाने की अद्भुत क्षमता होती है. आइए जानते हैं ये लकड़ी में क्यों लगती है और क्या कोई ऐसी लकड़ी भी है, जिसमें दीमक न लगती हो.


कॉलोनी का करती हैं विस्तार


दीमक एक बड़ी कॉलोनी बनाकर रहती हैं, जिनमें हजारों से भी ज्यादा दीमक हो सकती हैं. वे भोजन खोजने और अपनी कॉलोनी का विस्तार करने के लिए लकड़ी और अन्य सेलूलोज आधारित चीजों के माध्यम से सुरंग बनाने के लिए मिलकर काम करती हैं. 


लकड़ी में क्यों लगती है दीमक


दीमक लकड़ी की ओर आकर्षित होती हैं, क्योंकि लकड़ी में सेलूलोज होता है. यह एक जटिल कार्बोहाइड्रेट होता है, जो पौधे की कोशिकाओं का एक प्राथमिक घटक होता है. दीमक विशेष रूप से उस लकड़ी की ओर आकर्षित होती हैं जो नम हो, गलने लगी हो या पहले से क्षतिग्रस्त हो चुकी हो, क्योंकि उनके लिए इसे पचाना आसान होता है. 


कुछ लड़कियों की ओर नहीं होती आकर्षित


कुछ पेड़ों की लकड़ी दीमक के लिए प्राकृतिक रूप से प्रतिरोधी होती हैं. जबकि, कुछ को रासायनिक उपचार के माध्यम से प्रतिरोधी बनाया जाता है. हालांकि, दीमक सभी प्रकार की लकड़ियों की ओर समान रूप से आकर्षित नहीं होती है. कुछ लकड़ियों में ऐसे रसायन होते हैं, जो उन्हें दीमक के लिए कम स्वादिष्ट या विषाक्त बनाते हैं. इसलिए दीमक इन लकड़ियों में न के बराबर ही लगती है. क्योंकि, ऐसी लकड़ियों में प्राकृतिक तेल और रेजिन जैसे तत्व होते हैं, जिनकी वजह से दीमक इनकी ओर कम आकर्षित होती है. जैसे, रेडवुड, देवदार और सरू आदि.


इस लकड़ी में भी नहीं लगती दीमक


इसके अलावा एक और लकड़ी है, जिस पर दीमक हमला नहीं करती हैं. वह लकड़ी है मेलिया अजेदारच, जिसे आमतौर पर चिनबेरी पेड़ के रूप में भी जाना जाता है. इस लकड़ी में मेलियाटॉक्सिन नामक एक प्राकृतिक कीटनाशक पाया जाता है, जिससे दीमक और अन्य कीड़े भी इस लकड़ी से दूर ही रहते हैं.


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