भारत में सनातन धर्म में किसी लड़की की शादी हो जाती है तो उसके माथे पर बिंदी, मंगलसूत्र, मांग टीका, झुमके और बिछिया जैसी चीजें पहनना धार्मिक लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है. सनातन धर्म में स्त्री का हर श्रृंगार जरुरी माना जाता है. स्त्री के श्रृंगार में पैरों में पहनी जाने वाली बिछिया भी बहुत महत्वपूर्ण है. सनातन धर्म के अनुसार, स्त्री के श्रृंगार में चांदी की बिछिया पहनना भी जरुरी होता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि चांदी की बिछिया पहनने के धार्मिक के अलावा साइंटिफिक कारण भी हैं? यदि नहीं तो चलिए जान लेते हैं.


बिछिया पहनने के वैज्ञानिक कारण


बिछिया पहनना धार्मिक रूप से बहुत जरुरी होता है, लेकिन बता दें साइंस के अनुसार भी ये बहुत फायदेमंद होता है. दरअसल महिलाओं के पैरों की तीन उंगलियों की नस महिलाओं के गर्भाशय और दिल से संबंध रखती है. ऐसे में पैरों में बिछिया पहनने से प्रजनन क्षमता में मजबूती आती है. साथ ही उन्हें गर्भधारण करने में भी किसी तरह की समस्या नहीं होती.


बिछिया का रामायण से भी रहा है संबंध


धार्मिक लिहाज से बिछिया महत्वपूर्ण मानी जाती है. इसे शुभ चीजों का प्रतीक माना जाता है. हालांकि धार्मिक लिहाज से कुंवारी लड़कियों को बिछिया नहीं पहनना चाहिए. कहा जाता है मां दुर्गा की पूजा के समय उन्हें बिछिया पहनाई जाती है.


वहीं बिछिया का संबंध रामायण से भी बताया जाता है. कहते हैं जब रावण मां सीता का अपहरण करके ले जा रहा था, तब मां सीता ने अपनी बिछिया मार्ग में ही फेंक दी थी. उन्होंने ऐसा इसलिए किया था ताकि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम उन्हें सरलता से खोज सकें. हुआ भी कुछ ऐसा ही, मां सीता की छोड़ी हुई निशानियों के चलते भगवान राम को मां सीता का पता लगाना आसान हो गया था.                                                                                


यह भी पढ़ें: भारत में इस जगह के लोग खुद को मानते हैं सिकंदर के वंशज, कारण जानकर हो जाएगा यकीन