Doctors Coat Fact: हर पेशे की अपनी कुछ विशेष पहचान होती है. कुछ में यह पहचान पेशेवर के कपड़े होते हैं. इसी तरह जब हम डॉक्टर (Doctor) शब्द सुनते हैं तो हमारे दिमाग में जो सबसे पहली तस्वीर एक ऐसे इंसान की आती है जो सफेद कोट पहने और स्टेथोस्कोप टांगे रखता है. आपने गौर किया होगा कि डॉक्टर्स या फिर मेडिकल स्टाफ हमेशा सफेद कोट में नजर आते हैं.
क्या कभी आपने यह सोचा है कि डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ हमेशा सफेद कोट ही क्यों पहनते हैं? उनके कोट का कलर लाल, पीला, नीला या फिर कोई और क्यों नहीं होता है? अगर नहीं जानते हैं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ ज्यातादार सफेद कोट ही क्यों पहनते हैं.
मेडिकल प्रोफेशन का प्रतीक होता है यह कोट
अगर आपको ऐसा लगता है कि बस ऐसे ही डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ के कोट का कलर व्हाइट रखा गया है तो आप गलत सोचते हैं. इसका सीधा संबंध मरीज और डॉक्टर्स की सुरक्षा से है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, सफेद रंग का कोट मेडिकल प्रोफेशन मे 19वीं शताब्दी में इस्तेमाल होना शुरू किया गया था. इसे मेडिकल प्रोफेशन के प्रतीक के तौर पर माना जाता है. इसका रंग सफेद रखने के पीछे एक नही, कई कारण हैं. अस्पताल जैसी जगहों पर अक्सर ज्यादा भीड़ की स्थिति बन जाती है. ऐसे में, मरीजों से भरे अस्पताल के आंगन में आप आसानी से डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ की पहचान कर सकें. इसलिए डॉक्टर के कोट का रंग सफेद रखा गया है.
अन्य वजह भी हैं
इसके अलावा इस कोट का रिश्ता सफाई और हाइजीन से होने के कारण भी इसको सफेद रंग दिया गया है. डॉक्टर्स खुद हाइजीन का प्रतीक होते हैं, इसीलिए सफेद कोट होने से किसी भी तरह के दाग धब्बे आसानी से दिखाई दे जाते हैं. डॉक्टर्स को अलग-अलग तरह की बीमारियों से ग्रस्त लोगों से मिलना पड़ता है. बहुत बार उन्हें चोटिल लोगों का इलाज भी करना पड़ता है, ऐसे में उनके कोट पर खून या अन्य बीमारी लगाकर दूसरे मरीजों को लग सकती है. कोट का रंग सफेद होने की वजह से उस पर दाग, धब्बे या खून के निशान आसानी से दिखाई पड़ जाते हैं, जिससे डॉक्टर बाकी मरीज देखने से पहले इस कोट को बदल सके. किसी और रंग के कोट पर इस तरह के दाग धब्बों को देखना इतना आसान नहीं होता है. इसलिए भी डॉक्टर के कोट का रंग सफेद होता है.
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